स्वर्गका विमान | Swargka Viman
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
442
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गंगाविष्णु श्रीकृष्णदास - Gangavishnu Shreekrishndas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषयाटुक्रणिका । १९.
रिषय, ছু
4 जिंदगी विजलीकीसी चमक है उसमे मोती
पिरोखेनाही सचेत होना हे ~ „~ ~~ ९
<८ चार हजार पुस्तकामसे जरूरतकी चारवाते मिलीं
उनमेंभी दो याद रखनेकी ओर दी मूहजानेकी “~ ९०
<५ कडवी दूँवीको कितनीही यात्रा कराओ परंतु भीतरसे
घोये बिना मीठी नहीं होती वैसेही अंतःकरण धोये
विना उपरी आंडवरसे पाप नरी धुल्ते .... ৪ হু
९० यजमान अपने समयपर पुरोहितकों देता है '
वैसेही ईश्वर अपने समयपर हमको देंगा फिर
फटकी उतावर क्या १ ~ हरे ज दः
९.९ धरकी छत गिरने कगे तव कौनसी षस्त गिरी
ओर कोनसी वचैगी सो नहीं कहा. जासकेता
इसीतरह देशम जब आपृत्तियाँ पडती हों तब
अधिक मक्तिकरना चाहिये “~ . ~~ भ
«२ जहाजपर तृफान आता है तब. सामान पानीमें '
फेककरभी प्राण वचाये जाते है बैसेह्दी ज॑जा-
को फैककर् त्को पँहचानो न ज.
९३ जिसके घरमे आग ठ्गती है वह सामान बाहर फेक देता
है बैसेही जिस भक्तके अंतःकरणमे परमेश्वरके नामकी
आग लगती है वह वासनाआंकों छोड देता है... ««* १००
९.४ भक्तिं हठ ओर अभिमान नही करना अभिमान
छोडा कि स्वग तुम्दारादीहै „~ ~~ ॐ ,
९५ अनथेका अर्थ साधुसमागम गुरु गडरियेकी बात ««« १०द्
९.६ पापकी मनमें रखतेसे शांति नहीं मिलती ..* बन १०
०७ कल्तूरीके लिये हिरन झ्ञाडी २ में और पत्ते २ में |
` हता फिरता ह परंठ यह नहीं जानता कि
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