स्वर्गका विमान | Swargka Viman

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Swargka Viman by गंगाविष्णु श्रीकृष्णदास - Gangavishnu Shreekrishndas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयाटुक्रणिका । १९. रिषय, ছু 4 जिंदगी विजलीकीसी चमक है उसमे मोती पिरोखेनाही सचेत होना हे ~ „~ ~~ ९ <८ चार हजार पुस्तकामसे जरूरतकी चारवाते मिलीं उनमेंभी दो याद रखनेकी ओर दी मूहजानेकी “~ ९० <५ कडवी दूँवीको कितनीही यात्रा कराओ परंतु भीतरसे घोये बिना मीठी नहीं होती वैसेही अंतःकरण धोये विना उपरी आंडवरसे पाप नरी धुल्ते .... ৪ হু ९० यजमान अपने समयपर पुरोहितकों देता है ' वैसेही ईश्वर अपने समयपर हमको देंगा फिर फटकी उतावर क्या १ ~ हरे ज दः ९.९ धरकी छत गिरने कगे तव कौनसी षस्त गिरी ओर कोनसी वचैगी सो नहीं कहा. जासकेता इसीतरह देशम जब आपृत्तियाँ पडती हों तब अधिक मक्तिकरना चाहिये “~ . ~~ भ «२ जहाजपर तृफान आता है तब. सामान पानीमें ' फेककरभी प्राण वचाये जाते है बैसेह्दी ज॑जा- को फैककर्‌ त्को पँहचानो न ज. ९३ जिसके घरमे आग ठ्गती है वह सामान बाहर फेक देता है बैसेही जिस भक्तके अंतःकरणमे परमेश्वरके नामकी आग लगती है वह वासनाआंकों छोड देता है... ««* १०० ९.४ भक्तिं हठ ओर अभिमान नही करना अभिमान छोडा कि स्वग तुम्दारादीहै „~ ~~ ॐ , ९५ अनथेका अर्थ साधुसमागम गुरु गडरियेकी बात ««« १०द्‌ ९.६ पापकी मनमें रखतेसे शांति नहीं मिलती ..* बन १० ०७ कल्तूरीके लिये हिरन झ्ञाडी २ में और पत्ते २ में | ` हता फिरता ह परंठ यह नहीं जानता कि




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