महात्मा गांधी | Mahatma Gandhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.12 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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No Information available about सत्यकाम विद्यालंकार - Satyakam Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महात्मा गापी श्र गांधी-इसमें सन्तरी का क्या अपराध ? यह हन्शियों को भी इसी भांति पटरी से उतारता होगा । कोटल--फिर भी मिस्टर गांधी ऐसे भूख श्रादमी नम्रता या समभाने से ठीक रास्ते पर नही श्राते । इन्हें तो दण्ड दिलवाकर ही सुधारा जा सर्कता हैं । गांधी-मेरा सिद्धान्त है कि मैं झ्पने कप्ट के लिए किसी पर मुकदमा नहीं चलाता । कोटल--इस तरह तो इन लोगों की श्रादतें श्र भी खराब होंगी । कोटल ने सन्तरी को वताया कि यह कोई साधा- रण झादमी नहीं हिन्दुस्तान के वे रिस्टर श्री गांधी हैं । तो उसे वड़ा दुःख हुआ । उसका क्रोध ठण्डा पड़ गया । वह गांधीजी के चरणों पर गिर पडा श्रौर उनसे क्षमा मांगी । गांधीजी ने उसे सम्मानपूर्वंक उठाया । लज्जा के कारण उसका मस्तक श्रव भी भुका हुमा था । संसार के सब महापुरुषों में एक गुण पाया जाता है वह है क्षमा । उनके लिए सारा संसार उनका परि- वार होता है शत्रु भी उनका मित्र होता है । ईसा को देखो उनका चित्त इतना निर्मल भ्रौर उनका स्वभाव इतना दयालु था कि वह सज्जन एवं दुजन सब को क्षमा कर देते थे । उन्हें श्रपने जीवन में कभी भी किसी शक
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