भगवान प्रशवनाथ | Bhagvan Parshvanath
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
496
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[९]
अर्थात्-“हमे यह दोनो बातें याद रखना जरूरी हैं कि सच-
सुच जेनधर्म महावीरनीसे प्राचीन है | इनके सुप्रख्यात पृर्वागामी
श्री पावे जवद्य ही एक वाप्तविक पुरुषके रूपमें विद्यमान रहे
थे । ओ इपीर्यि जैन पिद्धान्तकी मुख्य बातें महावीरनीके बहुत
पहले ही निर्णीत होगई थीं 9
हालहीमें बरलिन विश्वविद्यालयके सुप्रसिद्ध विह्वान् प्रो ० हैं ०
हेल्छुथ वे।न ग्लासेनीप्प पी० एच० डी०ने भी जैन मान्यताकों
विश्वप्तनीय स्वीकार करके भगवान् पार्वनाथनीकी ऐतिहासिकता
सारपूर्ण बतलाई है। ४गत वेग्बली प्रदरशनीके समय एक धमेसम्से-
रन हुआ था, उसके विवरणमें जेनधमक्षी प्राचीनताके विषयमें
लिखते हुये सर पैट्रिक फैगन के० सी० आईं० ई०, सी० एस०
आई ने भी यही प्रकट किया है कि “जेन तीरधकरोमेसे सतिम
दो-पाइरवनाथ और महावीर, निस्सेदेह वास्तविक व्यक्ति थे; क्योंकि
उनका उल्लेख ऐसे साहित्य मन्थोंमें है जो ऐतिहाप्तिक हैं | ”*
यही बात मि० ई० पी० राइस सा० स्वीकार करते हैं | পেশ
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वेन्सन भी पार्वेनाथनीको ऐतिहासिक पुरुष मानतीं हैं।* फ्रांसके
प्रसिद्ध संस्कतजश्॒विह्ान् डा० गिरनोट तो स्पष्ट रीतिसे उनको
एतिहासिक पुरुष घोषित करते हैं | (“1167७ ८० 70 1008७०
09 ৪2 तप पाद 728135510861)0 ৪3113607108?
{0918 078९8 ५ 9 इसी प्रकार अग्रजीके महत्वपूरण कोष-गंथ £ इंसाइ-
१-डर जैनिससस प्रू० १६-२१ । २-ग्लीजन्स ऑफ दी इम्पायर
'पु० २०३ । ३-कनारीज लिटरेचर রণ २० । ४-हाटे ऑफ जेनीज्म
গু ४८ । ५-ऐसे ऑन दी जैन बाइब्लोग्रेफी
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