भगवान प्रशवनाथ | Bhagvan Parshvanath

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhagvan Parshvanath by कामता प्रसाद जैन - Kamta Prasad Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कामता प्रसाद जैन - Kamta Prasad Jain

Add Infomation AboutKamta Prasad Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[९] अर्थात्‌-“हमे यह दोनो बातें याद रखना जरूरी हैं कि सच- सुच जेनधर्म महावीरनीसे प्राचीन है | इनके सुप्रख्यात पृर्वागामी श्री पावे जवद्य ही एक वाप्तविक पुरुषके रूपमें विद्यमान रहे थे । ओ इपीर्यि जैन पिद्धान्तकी मुख्य बातें महावीरनीके बहुत पहले ही निर्णीत होगई थीं 9 हालहीमें बरलिन विश्वविद्यालयके सुप्रसिद्ध विह्वान्‌ प्रो ० हैं ० हेल्छुथ वे।न ग्लासेनीप्प पी० एच० डी०ने भी जैन मान्यताकों विश्वप्तनीय स्वीकार करके भगवान्‌ पार्वनाथनीकी ऐतिहासिकता सारपूर्ण बतलाई है। ४गत वेग्बली प्रदरशनीके समय एक धमेसम्से- रन हुआ था, उसके विवरणमें जेनधमक्षी प्राचीनताके विषयमें लिखते हुये सर पैट्रिक फैगन के० सी० आईं० ई०, सी० एस० आई ने भी यही प्रकट किया है कि “जेन तीरधकरोमेसे सतिम दो-पाइरवनाथ और महावीर, निस्सेदेह वास्तविक व्यक्ति थे; क्योंकि उनका उल्लेख ऐसे साहित्य मन्थोंमें है जो ऐतिहाप्तिक हैं | ”* यही बात मि० ई० पी० राइस सा० स्वीकार करते हैं | পেশ 2085 06 698,090. ৪৪ 1785011०0)) श्रीमती सिन्‍्कलेपर स्टी- वेन्सन भी पार्वेनाथनीको ऐतिहासिक पुरुष मानतीं हैं।* फ्रांसके प्रसिद्ध संस्कतजश्॒विह्ान्‌ डा० गिरनोट तो स्पष्ट रीतिसे उनको एतिहासिक पुरुष घोषित करते हैं | (“1167७ ८० 70 1008७० 09 ৪2 तप पाद 728135510861)0 ৪3113607108? {0918 078९8 ५ 9 इसी प्रकार अग्रजीके महत्वपूरण कोष-गंथ £ इंसाइ- १-डर जैनिससस प्रू० १६-२१ । २-ग्लीजन्स ऑफ दी इम्पायर 'पु० २०३ । ३-कनारीज लिटरेचर রণ २० । ४-हाटे ऑफ जेनीज्म গু ४८ । ५-ऐसे ऑन दी जैन बाइब्लोग्रेफी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now