धर्मके नामपर | Dharmke Naampar

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Dharmke Naampar by आनंद कोशल्यायन - Anand Kaushalayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरमंकी कट्टरता | , हायसे इंसाकी खाली कबरको छुड़ानेका प्रयत्न किया ! यह ग्यारहवीं शतीमें आरम्म हुआ ओर तेरवीं शतीडी समासिपर समास । मारा यूरोप छगमग बीरान हो गया। खेत লহ हो गये। मॉब उजड़ गये । जातियों दरिद्र हो गई | इर ऋणी आदमीकों उसके ऋणसे मुक्त घोषित कर दिया गया, यदि बह अपनी छातीपर क्रॉस छटकाकर ऋँसके सैनिकोंमं भर्ती होनेके लिये तैयार हो गया । उसने चाहे कितना दी बड़ेसे बड़ा अपराध किया दो उसे जेलसे मुक्त कर दिया गया, यदि बह कॉसके यैनिकोमे भर्म होनेके लिये तैयार शो गया। उनका विश्वास था कि ईश्वर उन्हें विजयी बनायेगा। १२९१ तक बह उस केबरपर अभिकार करनेका प्रयत्न करते रहे । अन्तम इंसाके तैनिकोंको बुरी तरह मुँहकी खानी पढ़ी । उन्हें पीछे भागना पड़ा । इस एक बातने ईसाइयतके संसारमें अविश्वासका बीजारोपण कर दिया । तुम जानते हो कि उन दिनों लोग सत्यासत्यका निणेय करनेके लिये युद्धको ही एकमात्र साधन समझते ये । उनका ख्याल या कि ईशर दा सत्य - पक्ष ग्रहण करता है | ईसा और मुहम्मदके बीच युद्ध हो चुका था। भुदम्मद विजयी हुआ था । क्या इश्वर उस समय संसारका शासक था ! क्‍या बह उस समय मुहम्मदके धर्मका ही प्रचार चाहता খা? कलाका विनाश आप जानते हैं कि जब ईसाइयतफे हाथमें अधिकार आया तो उसने प्रायः इर मूतिको जिसपर इसका अज्ञानी हाथ पढ़ा तोड़-फोड़ डाला । इसने प्रत्येक चित्रकों या तो कुरूप बना दिया, या मिटा दिया । इसने प्रत्येक सुन्दर इमारतको नष्ट-अष्ट कर डाला, इसने शरीक और छातीनी दोनों प्रकारकी पाण्डुलिपियोंकों नष्ट-श्रष्ट कर डाछा, इसने तम्राम इतिहास, तमाम कबिता , और तमाम दरशन-शास््रको नष्ट कर डाल्य; इसने मशाल होकर हर पुस्तका- लयको राख बना डाल्य | परिणाम यह हुआ कि मानवता अन्बकारपूर्ण राजिसे ढैंक गई। छेकिन कुछ ऐसा हुआ कि जैसे तैसे चन्द पाण्डुलिपियों मवी जोशकी आममें जल कर राख इोनेसे बच गई । यही पाण्डुलिपियाँ उस दृक्षका बीज बनीं जिसका फल हमारी आधुनिक सम्पता है । कुछ मूर्तियाँ जमीनमें गाड़ दी




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