गांधी - श्राद्धांंजलि - ग्रन्थ | Gandhi Shraddhanjali Granth

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Book Image : गांधी - श्राद्धांंजलि - ग्रन्थ  - Gandhi Shraddhanjali Granth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मानव-जाति को गांवीजी का संदेश श्णु कि सानव-मात्र से मे अपना तादात्म्य स्थापित न कर लू । और यह में उस समय तैक नहीं कर सकता जवतक कि में राजनीति में भाग न लूं । मनुष्य के समस्त क्रिया> कलापो का विस्तार आज टुकडो मे नही बांटा जा सकता हैं । आज आप सामाजिक, राजनैतिक और पूर्णत धार्मिक कार्यों को किन्ही अभेचय खडो में वाट नहीं सकते । मानव कमं से भिन्न मे किसी धर्म को नही जानता । सत्य के प्रति मेरी भक्ति ने ही मुझे राजनीति के क्षेत्र में खीचा है और बिना किसी संकोच के, परन्तु नम्रता के साथ, मे मानता हू कि जो लोग यह कहते है कि धर्म का राजनीति से कोई सबध नहीं वे वास्तव मे धर्म के अथ को समझते ही नही ।” इसमे से बहुत-से छोग जो अपनेको घार्मिक कहते है वे धर्म के एक बाहरी रूप का ही व्यवहार करते हैं। हम मशीन की तरह इसके रीति-रिवाजो का पालन करते है और विना समझे इसके विश्वासो के आगे सिर शुका देते है। हम उन बाहरी शक्‍लो से ऐसे सहमत हो जाते हें मानो वह सहमति हमे सामाजिक और राजनेतिक सुविधाएं दिछाती हो । हम रोज ईश्वर का नाम लेते है और अपने पडोसियो से घृणा करते हे। खोखले वाक्यो और दिमागी अभि- मान से अपनेंको धोखा देते है। गाधीजी के लिए धर्म का आत्मजीवन के साथ एक भावनापूर्ण योग था । वह अत्यन्त व्यावहारिक और गतिशील था । वे दुनिया के दु ख के प्रति अति समवेदनशील थे और चाहते थे कि हर आँख का हर भासू वे पोछ सके । वे सपूर्ण जीवन की पवित्रता में विर्वास करते थे । धर्मं-शून्य राजनीति उनके ग्दिट कक ऐसे “शव के समान थी जो केवल दाह किये जाने के ही योग्य” हो । वे राजनीति को धर्म और आचार-शास्त्र का ही एक अग मानते थे । उनका खयाल था कि यह सघ्ष केवल शक्ति और धन के लिए ही नही है, वरन्‌ यह एक ऐसा अथक और अनवरत प्रयत्न है कि जिससे लाखो पीडित अच्छा जीवन प्राप्त कर सके, मनुष्यों का गुणात्मक स्तर ऊचा हो सके, स्वतन्त्रता और साहचयें, आध्या- त्मिक गाभीयें और सामाजिक एकता की शिक्षा दी जा सके । कोई भी राजनीतिज्ञ जो इन उद्देश्यो की पूत्ति के लिए कार्य करता हैँ, धार्मिक हुए विना नहीं रह सकता । वह सम्यता के निर्माण में नैतिकता के सहयोग की उपेक्षा नही कर सकता और न ही अच्छाई के स्थान पर बुराई का समर्थन कर सकता हैं । जीवन की भौतिक वस्तुओ से लिप्त न होने के कारण वे उनमें परिवर्तन करने के योग्य थे । सिद्ध व्यक्ति या खलीफा इतिहास से स्वय तटस्थ रहकर इतिहास का निर्माण करते हैं । /किसी भी आदमी के लिए सारी दुनिया को सुधारना धृष्टता होगी । जहाँ बह हैं वही से उसका काम शुरू होना चाहिए। जो काम उसके सबसे. नजदीक




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