सिख - इतिहास | Sikh Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Sikh Itihas by ठाकुर देशराज - Thakur Deshraj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ठाकुर देशराज - Thakur Deshraj

Add Infomation AboutThakur Deshraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ध्रस्तात्रना पंजाप प्ऊते या धौड़ासदल गडलाता है । रग्य क्यामला का विशेषण भारत के लिए सत्यत. ही এট लागू होता दै। पंचाय से ন্বলিলান उम समने प्यायते द शिसका चित्र आग भी लोगों के दृदय में कमिट रुप मे पिशनगान है, हैसा पचाप सय ही प्रकृति का फीकलीतुफ रहा है, और आज भी तया यम यनो न्धना লা नहीं घेठा है। इसी पायन भूमि पर उद्भव द्या चेदं फा गान हआलने दुष्‌ नेद और मादपों गो बानी एुए तरसों के साथ-साथ सारे भाप में फेचा। पंजाब की মুদি কা न्दर ক হুলিশলনা লিন लिये घेंठा है । जरा सा प्रयत्न परने पर ही उसकी सलक दमाय फो दो अपने सादितय-मटार पर और इन साहित्यफारों पर--जिनके साहित्य ने ससार के अमरता फा संदेश दिया টিলার ছি यहाँ पंजाब अपने बीरों प्र साधु, सन्‍्तों पर भी स्वाभिमान হালা £ सिस्देंनि अपने तन, मन. से इसकी समुन्तति में सटयागा दिया। यूनान फे 'आक्रमणफारियों को विफल यनाने में व्थीर उनकी तथाकथित सभ्यता से भारत को वचाये रफने में, इसी पंजाब ने सब से बढ़ कर साग लिया ईूँ, यहाँ फी विश्य विद्यापीठ तन्तरिल्ा फे स्‍्नातझ, चाहे थे राजनीति के स्नातक रहे हों या शपि >| अपनी विद्या फे कारण सारे संसार में 'पपनी महिमा एवं चातरी का मकंडा लद॒रा चुके हैं। घाणफ्य, चन्द्रगुप्त, पाणिनी, घर आदि का नाम प्रत्येक व्यक्ति जानता दे । यह सब पजाव के सपूत ये अत्त' इन सत्र पर पंजाब के गर्व है, यह भी सबझो पता दूँ कि पंजाब ने कभी अपना पानी नहीं खोया. बह तो सदा अपने समूचे देश के (पानी! फो न सोने देने फे लिये संघं करता रहा ३ । इसी पंचनद की पवित्र भूमि में लगभग पीने पाँच से चर्ष पहले प्रभु की 'अमर ज्योति के सच्चे रूप भ्री गुरु नानक देव जी ने जन्म लिया शऔर उन्हीं के रिप्य (सिख) अपने तन, सन और धन से धममे नाशऊं से जूमने स्ट द दवा श्चपना वलिदान देकर भी धमं उदार मे प्रवृत्त रे दै । स्वयं शुरु नानकदेव जी फी द्विच्य श्रोँपो ने मारत का भविष्य देख जिया था दमी कार्ण यिना किसी मैद-भाव के सचरो एक सूत्र में बंबने का क्रम उन्दोंने चलाया, उनकी शिक्षाओं से अनुप्राणित शिष्यों का जो समूह संगठित हुआ यही सित्र समाज फे नाम से अमिहित हुआ | श्री गुरु नानक देव जी से पहले भारत का चित्र ठाकुर देशराज जी द्वारा लिखे गये इस इतिद्दास में पूर्णतया अंकित है, सचमुच ऐसी ही दशा थी उस समय के भारत को यद्यपि यवनों ओर हिन्दुओं में एकता भाव उत्पन्न करने के लिए कबीर, रामानन्द्र ओर जायसी द्वारा प्रयत्न हुए अवश्य थे किन्तु सफ- नता फे चिह्द इृष्टिगोचर नहीं हो रहे थे चूँकि हिन्दू जाति अपने ऊपर से आत्म विश्वास खो बैठी थी अत' इस बात की आवश्यकता थी कि उसमे नवोत्साह और आत्म-विश्वास पेदा किया जाय | नानक देव जी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now