बेकन - विचार रत्नावली | Bekan - Vichar Ratnavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बदला लेना । (७)
बदला लेना ३.
ठपकारकमायतेश्वश्ं प्रसवः कमंफलस्य भूरिणः।
अनपायि निबर्हणं द्विषां न तितिक्षासममन्यसाधनम् ॥
कियताज्जनीय ।
वदा छेना एक भकारका असभ्य न्याय है। एसे न्यायकी ओर मनुष्य
की मव्रृत्ति जितनी अधिकौ विधि (कानून) की उतनीही अधिक उसकी
भतिवेधकता करनी चाहिये,क्योकि परिखाजपकार कवर विधि की सीमा
का अतिक्रमण करताहै परन्तु उस अपकारका वदरा छने जाना मानों
विधि की सत्ताहीकेा न मानना है । यह् सत्य है कि, वदरूलेनेसे मनुष्य
अपने रतुकी वरावरीका होनाता रै परन्तु बदा न लेकर तत्कृत
अपराधको क्षमा करनेसे वह उसकी अपेक्षा श्रेष्टताको पहुँचनाता है,
क्योंकि क्षमा करना बड़ोंका काम है।सालोमन ने यह कहा है कि,
“दूसरोके अपराधको चित्तमें न छाना मनुष्यके लिये अत्यन्त भूषणा-
स्पद है” । जो हुआ सो हुआ; गई हुई बात पुनः पीछे नही आती; अतः
बुद्धिमान् लोग वत्तेमान और भाषिष्य बातोहीका चिन्तन करते हैं; गत
बातोंका नहीं । गतका विचार करते बैठना मानों अपने बहुमूल्य समय
का अकारण नष्ट करना है |
ऐसा कोई भी मनुप्य नरीं है ना दूसरका अपकार विना किसी
कारणक करताहा । अपकार करनेमे उसका कुछ न कुछ अभीष्ट अव-
इय रहताही है; चांहे वह प्राप्ति हो, चाहे मनोरंजन हो, चाहे भूषण हो
१ भविष्यतूमें अधिकाधिक उपकारक होनेवाली, कार्यसिद्धिके उत्तमोत्तम फल
की देनेवाल, स्वयं कभी भी नाद न होकर शत्रुओका नारा करनेवाली क्षमे
समान अन्य साधन संसारमें नहीं है ।
२ सालोमन जेरबड़लेम का राजाथा । इसने ईसवी सनके पहिले ५७५ से
१० १५तक राज्य किया | यह एक अद्वितीय चतुर, न््यायी और महात्मा था।
तत्त्वशात्र का भी इसे उत्तम ज्ञान था।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...