सम्यज्ञान्चंद्रिका खण्ड - 1 | Samyak Gyan Chandrika bhag - I

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सम्यज्ञान्चंद्रिका  खण्ड - 1  - Samyak Gyan Chandrika  bhag - I

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about यशपाल जैन - Yashpal Jain

Add Infomation AboutYashpal Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मिधथ्याज्ञान का स्वरूप मत्तिज्ञान का स्वरूप उर्पत्ति आदि डेप ० श्रुतज्ञान का सामान्य लक्षण भेद... ४ ५०-४५ ३ पर्यायज्ञान पर्यायसमास प्रक्ष रात्मक श्रूतज्ञान उप रे ४८१ श्रुतनिवद्ध विषय का प्रमाण श्रक्षर- समास पदज्ञान पद के भ्रक्षरो का प्रमाण प्रतिपत्तिक श्रुतज्ञान ंद रै-रंपर्ड श्रनेक प्रकार के श्रुतज्ञान का विस्तृत स्वरूप अ्रगवाह्य श्रुत के भेद श्रक्षरो का प्रमाण अगो व पूर्वों के पदो की सख्या श्रुतज्ञान का माहात्स्य अवघिज्ञान के भेद हंपे-५२१ उसके स्वामी श्रौर स्वरूप श२१-५३६ श्रवधि का द्रव्यादि चतुष्टय की श्रपेक्षा वर्णन अवधि का सबसे जघन्य द्रव्य ५३७-प्रु्रु नरकादि में अवधि का क्षेत्र नु्ु४नभुद्० मनःप्येयज्ञान का स्वरूप भेद स्वामी श्रौर उसका द्रव्य प्रद्ू०-५६८ केवलज्ञान का स्वरूप ज्ञानमागंणा मे जीवसख्या प्ूदद-पु७१ तेरहवां श्रघिकार . _ संयममागंरणा-प्ररूपरणा भ्र७२-्रुघ० संयम का स्वरूप श्रौर उसके पाँच भेंद सयम की उत्पत्ति का कारण प्ु७र-पु७४ देश सयम श्रौर श्रसयम का कारण सामाधिकादि ५ सयम का स्वरूप पूु७४-५७७ देशविरत इन्द्रियो के अट्ठाईस विषय सयम की श्रपेक्षा जीवसख्या. ७७-प्रप० चौदहवां अधिकार दर्शनसागणा-प्ररूपरणा प्रद१-प्रपा दर्शन का लक्षण चक्षुदर्शन श्रादि ४ भेदो को क्रम से स्वरूप दर्शन की भ्रपेक्षा जीव सख्या प्रुद १-प्रुरप् पंद्रहवां श्रघिकार लेश्यासागंणा-प्ररूपणा प्रुच प्रदेश लेश्या का लक्षण लेश्याश्नो के निर्देश रे श्रादि १६ अधिकार पु्न-पभ८६ निर्देश वर्ण परिणाम संक्रम कमें लक्षण गति स्वामी साधन श्रपेक्षा लेश्या का कथन सख्या क्षेत्र स्पर्श काल अन्तर भाव और श्रल्पबहुत्व श्रपेक्षा लेश्या का कथन लेश्या रहित जीव सोलहुवां श्रधिकार भव्यमागंणा-प्ररूपरणा भव्य अभव्य का स्वरूप भव्यत्व अ्रभव्यत्व से रहित जीव भव्य मार्गणणा मे जीवसख्या पाँच परिवतन द प्र द-द१० ६१०-६४३ दरे-द्डर्ड दे प-पे ७. दरप्रू-६४६ दूर दू-पुरं ७ सतरहवा श्रघिकार . सम्यदत्वमागंरणा-प्ररूपरणा सम्यकक्‍्त्व का स्वरूप सात भ्रघिकारों के हारा छह द्रव्यो के निरूपण का निर्देश नाम उपलब्षण स्थिति क्षेत्र सख्या दशप-७९३ दुु८-दूभ€ स्थानस्वरूप फलाधिकार द्वारा छह द्रव्यो का निरूपण पचास्तिकाय नवपदाथे गुणस्थान क्रम से जीवसख्या चेराशिक यन्त्र क्षपकादि की युगपत्‌ सम्भव विशेष सख्या से सयमियो की सख्या क्ञाथिक सम्पवत्व वेदक सम्पक्त्व उपशम सम्पव्त्व पाच लब्घि सम्यवत्व ग्रहण के योग्य जीव सम्यक्त्वमागंणा के टूसरे भेद सम्यक्त्वमागंरणा में जीवसख्या श्रठारहवा भ्रधिकार संज्ञीमागंरणा-प्ररूपणा ६४६-७०१ ७० २-७०७ ७०५८-७१६ ७१९-७९२३ ७९२४-७४ सज्ञी भ्रसज्ञी का स्वरूप सज्ञी मसज्ञी की परीक्षा के चिन्ह ७२४ सज्ञी मागंणा मे जीवसख्या ७२४५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now