भागते किनारे | Bhagte Kinare
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भागते , किनारे
राजनारायण अबतक शेव? कर चुका था 1 हाथ-मु है
“धोने को जब बंद उठा दो अपने वारजे से देखा कि एक तोम
खड़ा है और उस पर दो लड़कियों बेटी हैं । वह अनायास ही
-अजीत से पूछ बेठा--'क्यों, उस तोंगे पर तुम आए हो १?
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घरसे कठं लोगआएु हैक्या! यदीं दद्य सूममे
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“লহ ********প্তন্ वही रहने হাতেই তরী অন
धजा*****? अजीत ने क्षरा मपते हुए कहा । ॥
भाई, यह तुम्हारा ही घर है--उन्हें क्यों. नहीं“?
शायद वे बुरा मान जायेँ।* ** 1?
कोई ग्र थोड़े ही हैं--घर की ही तो हैं--1?
अजीत चुप हो गया। राजनारायणश एक क्षण उसे
“निहारता रहा । वह तो उड़ती चिढ़िया पकड़ ले। चट बोल
' उठा--बुम नहीं. बुलाते तो में ही उन्हें““**'आखिर भे
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` ^ ^ “` 'राजनारायण् अजीत की कानी सु्ुराता
खनता रहा । उसकी उम्र भी अपने सहपाठी अजीत की ही
छोगी। मगर झिन्दगी के अनेकों अनुभव दो चके हैं उसे।
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