पंचशती | Punch Shati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1१1]
श्रीकर्धमान । माऽय आकलय्य नत-सुराप्तमानमाय | ।
विधीश्चामानमाय ~ मचिरेण कलयामानमाय ! 11
अये श्री वर्धमान । नतमुर् । आप्तमानमाय । अमानमाय । (त्व) विधीन् अमान् च अचिरेण अमा
आकलय्य य॑ मां (मा) कलय।
श्रीति- अये श्रीवर्धमान। हे सन्मते। हे नतसुर। नताः सुरा यस्मै
नतसुरस्तत्सम्बुद्धौ । हे अप्तमानमाय। मान च ज्ञानं च मा च लक्ष्मीश्च यश्च यश्चेति
मानमाया आप्ता प्राप्ता मानमाया येन तत्सम्बुद्धौ । ‹ स्या स्यान्मा रमायां च । “मान
प्रमाणे प्रस्थादौ ' | यो वातयशसो पुसि' इतिच विश्वलोचन.।हे अमानमाय! मानो
गर्वश्च माया छल चेति मानमाये अविद्यमाने मानमाये यस्य तत्सम्बुद्धौ त्वम् विधीन्
कर्माणि अमान् च रोगाश्च । अचिरेण शीघ्र अमा साकं। आकलय्य नाशयित्वा मा मां भयं
--कल्याण यद्रा य यश कलय प्रापय ।।१।।
अर्थ- जिनके ममक्ष देव नम्नीभूत है-जिन्हें देव नमस्कार करते है, जिन्होंने
ज्ञन, लक्ष्गी ओर यश को प्राप्त किया है तथा जो मान और माया से रहित है, ऐसे हे
वर्धमान जिनेच्र! गेरे कर्ग ओर जन्म-जरा-सृत्युरूप रोगों को एक माथ शीघ्र ही नष्ट
कर मुझे अय-कल्याणरूप अवस्था अथवा सुयश को प्राप्त कराओ ।।१।।
1২]
तमनिच्छन् पुनर्भव नृपनतसुकुटमणिलसितपुनर्भवम् ।
नत्वेच्छे पुनर् भवं भद्रनाहुमहमपुनर्भवम् ।।
त पुनभवि अनिच्छन् अह नृपनतमुकटमणिलसितपुनर्भव भद्रबाहु नत्वा पुन अपृनर्भवम् भवम् इच्छे |
तमिति- तं प्रसिद्ध सर्वजनप्रप्तं पुनर्भवं पुर्नजन्म अनिच्छन् अनभिलषन् बह
स्तोता। मृपनतमुकुटमणिलसितयपुनर्भव नृपाणां चन्द्रगुप्तप्रभृतिनरेन्द्राणा नतानि नम्नाणि
यानि मुकुटानि मौलयस्तत्र स्थितैर्मणिभी रत्नैर्लसिताः सुशोभिताः पुनर्भवा नखा यस्य तं
भद्रबाहु तन्नामानं श्रुतकेवलिनं नत्वा नमस्कृत्य पुनः पश्चात् नमस्कार -फलस्वरूपं
अपुनर्भवं पुनर्जन्मरहितं भवं पर्यायं मुक्तावस्थामिति यावत् दृच्छेऽभिलषामि। इच्छे
इत्यत्रात्मनेपदमार्षम् । | २।।
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