गोरखनाथ और उनका युग | Gorakhnath Aur Unka Yug
श्रेणी : समकालीन / Contemporary
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.23 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मूमिका
जग मंदिर पट्टी से 'बौरंगीमाथ को आरसंकनी प्राप्त हुई जिसके मिए उम्टें मैं
देता हूँ । इतके पठिरिक्त भ्रतेक पुस्तकालयों बिदार्गों तथा कुछ
कनफटे बोगियों ने थो मुझे दी है मेरे काम में इचिदुबक हाय बंटाया
है उसे मैं कया कहूँ । छिज-इसक से प्रतिध्वनित को पाख्िमि की मांति
सूर्जों में बाद इतनी सामप्ये मसला मुररम कहाँ ।
प्रो टंडन को भम्यवाद देकर मैं उनके बुस्त्व को घटाना सही
'चाहुठा ।
पुस्तक में सम्मान सूचक 'जी' झम्दों का धमाष मिलेगा यह पसम्माग
की प्रयृत्ति नहीं । मुझे शाप के लेज में के स्वात पर कासिदास
प्रथिक सम्मानित धमता है ।
गोएसनाव थो शीष के बिपय में कहू मए हैं बहू उनके ऊपर लिखते वाले
के लिए उपयुक्त है । तदेब मैं उनके थे शब्द यहाँ उद्धृत करके भ्रपती
का चस्सेक %र देता उचित समझता हूँ ।
राति मई भ्षि राति गई आलक एक पुकारे
है कोई नगर में सुरा दाशक का दुप ।
दिसटि पढ़ते सारी कौमति कीमत सबद रुचार
साथ कचे प्रयोचर बाणी ताका बार तपारे॥
-गोरलबाती पृष्ठ 80
“रपिय राधव
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