हिंदी रचना | Hindi Rachana
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৪ हिन्दी-रचना
ओर संसार से अपना नाता जोड़ता है। इसीलिए वह हमारी
धात्री है ।
मातृ-भाषा के जीवन के विषय में कुछ बातें जानना जितना
मनोहर है, उतना आवश्यक भी है । इससे
हिन्दी-भाषा का अच्छी भापा लिखने ओर भाषा की उत्तमता
विकास समभने की रुचि ओर योग्यता दोनों ही उत्पन्न
होंगो । हिन्दी भाषा के विकास का इतिहास
बड़ा ही विचित्र है । इसकी जन्मदात्री भाषा का निर्णय विद्वानों
के विवाद का एक विपय है। इसका जन्म किस भाषा से हुआ'
इस सम्बन्ध में विद्वानों के अनेक मत हैं । कुछ विद्वानों की
सम्मति है कि हिन्दी संस्कृत भापा से उत्पन्न हुई और कुछ का
कहना है कि प्राकृत से । संस्कृत भाषा के नांम से तो सभी
परिचित हैं, किन्तु प्राकृत के नाम से बहुन से विद्यार्थी अन-
भिज्ञ होंगे । अधिकांश विद्वानों का यह मत है कि संस्कृत
ओर प्राक्ृत दो बहिनें है, जो एक माता से उत्पन्न हुई हैं। ऐति-
हासिक दृष्टि से उनका कहना है कि जब आय भारतव५ में आये
थे, उनकी भाषा बेदिक थी । इतने विस्तृत देश मे फैले हए आर्यो
की उसी वैदिक भाषा में आगे चल कर अनेक भेद होने लगे
ओर भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रयोगों से उसका सममना भी
कठिन होने लगा । तब उसी वैदिक भाषा के ऐसे नियम बनाये
गये जिससे भाषा में आगे परिवर्तन न हो सके । उन नियमों से
शुद्ध की हुई और बाँधी हुई भाषा का नाम संस्कृत पड़ा ।
किन्तु बोल्ल-चाल् मे वही वैदिक-भाषा प्रयोग में आती रही,
जिसे प्राकृत कहने लगे । आज भी हमारी
प्राकृ. नगरों-की-भाषा और गाँवों-की-भाषा में, हमारी
. घर-की-भाषा और बाहर-की-भाषा में बड़ा भेद है ।
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