मीना | Meena
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
149
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)टः माना
उन्हें लोक-लज्जा का भय था और न ले जाने में पुरुषाथहीन
कायरों की तरह एक शरणागत के कत्तव्यों से विमुख होना
पड़ता था। बड़ी मुश्किल में जान थी ।
बड़ी कठिनाई से हृदय के समस्त विकारों को दबा कर
उन्होंने पूछा, “अच्छा अपना नाम तो आप'“****” बीच ही
में वह बोल पड़ी--“मुके आप मीना के नाम से पुकार
सकते हैं 1:
“मीना” विस्मय-विस्फारित नेत्रों से उसकी ओर देखते
हुए उन्होंने पूला--“यह नाम तो बहुत सुन्दर है। तो क्या
श्राप दक्षिण भारत की रहने वाली तो नहीं हे ¢
उसने कहा-- “अभी श्राप जो कुछ भी सम्म ठीक है--
किन्तु अपने विचारों का विकास न करके आप जल्दी से जल्दी
मुझे इस भयानक जंगल से निकाल कर सीधे अपने घर ले
चलें तो यह बहुत अच्छा होगा । आप देख रहे हैं मेरी गोद
में एक नवजात बच्चा है--यदि किसी सुरक्षित स्थान में पहुँच
कर शीघ्र ही इसकी उचित व्यवस्था न की गई तो बहुत संभव
है इसका जीवन बचाना ही असम्भव हो जाये ओर तब इस
पाप के भागी आप ही होंगे एकमात्र ।”
पाप के नाम से ही कुंवर साहब सिहर उठे4 उसे घर ले
चलने का उन्होंने मन ही मन निश्चय कर लिया। पहले उन्होंने
सोचा रात में ले चलना ठीक होगा जिससे कोई देखे ना--
लेकिन क्यों ? यह बात कोई छिपी थोड़ी ही रहेगी। छि
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