गुलदस्तए बिहारी | Guldastae Bihari
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
175
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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09/21 বলার শন
| १ |
ররর धा ५ ध (৯ ५
मेरी भव-वा हरी, राधा नागरि सोय ।
पक
जा तन की माई परें, स्थाम हरित दुति होय ॥
भेरे अफकोारे-दमिया हुए कीजे शाधिका रानी।
স্পট বটি
कि. जिनके सायणतन से, हरे हो श्याम नूरानी॥
| २ |
জীব सुकुट कटि काछनी, कर मुरली उर माङ ।
यहि बानिक म) मन सदा, बसी. विहारीरल ॥
सुकुद सिर, काछती उवे कमर सीमे पै वनमाखा।
स्यि हाथधाय सस्छी, दिख बसिये मेरे बेंद्लाला॥
| ३ |
मोहनि सूरति स्याम' की, अति अद्भुत गति जोय ।
(97
बसति सुचित अंतर तऊ, प्रतिबिम्बिक जग होय ॥
अजय कुछ श्याम की उस मोहनी सूरत में शकतो है।
बसी मो शीशए-दिल में, मगए बाहर रूझकती
[ ७ |
ताजे तीरथ हरि-राधिका,-तनद॒ति करि अनुराग ।
भिहि जज केकि-निकुज-मग, पग पग दहति धयाग ॥
तञजों तीर्थ, भ्रजों हरि राधिका का जिश्म शूरानी।
न्रिवेनी जिने केलसे है पण 2 मम ब-आखसानी ॥
न
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