गुलदस्तए बिहारी | Guldastae Bihari

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Guldastae Bihari by मुंशी देवीप्रसाद - Munshi Deviprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ण 09/21 বলার শন | १ | ররর धा ५ ध (৯ ५ मेरी भव-वा हरी, राधा नागरि सोय । पक जा तन की माई परें, स्थाम हरित दुति होय ॥ भेरे अफकोारे-दमिया हुए कीजे शाधिका रानी। স্পট বটি कि. जिनके सायणतन से, हरे हो श्याम नूरानी॥ | २ | জীব सुकुट कटि काछनी, कर मुरली उर माङ । यहि बानिक म) मन सदा, बसी. विहारीरल ॥ सुकुद सिर, काछती उवे कमर सीमे पै वनमाखा। स्यि हाथधाय सस्छी, दिख बसिये मेरे बेंद्लाला॥ | ३ | मोहनि सूरति स्याम' की, अति अद्भुत गति जोय । (97 बसति सुचित अंतर तऊ, प्रतिबिम्बिक जग होय ॥ अजय कुछ श्याम की उस मोहनी सूरत में शकतो है। बसी मो शीशए-दिल में, मगए बाहर रूझकती [ ७ | ताजे तीरथ हरि-राधिका,-तनद॒ति करि अनुराग । भिहि जज केकि-निकुज-मग, पग पग दहति धयाग ॥ तञजों तीर्थ, भ्रजों हरि राधिका का जिश्म शूरानी। न्रिवेनी जिने केलसे है पण 2 मम ब-आखसानी ॥ न




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