अनित्य भावना | Anitya Bhavana
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
ट्म इच्छा भय माहि रीन चित, व्यये मोहबश भानी |
दुख-छहरनयुत भवसयुद्रमः पडे माते अगवानी ॥ ३६ ॥
इंद्रिय सुख जलमे ऋरीड़त नित, जगतसरोवर माही |
युम धीवर कर वृदापनको, जार जहा पसरादीं ।
तामं फसकर लोकसरूप यह, दीन पीन समुदा ।
निकर प्राप्न भी पोर आपदा,+-ओको देखत नाहीं । २७॥
सुन गत जीवनको यमगोचर) * देख वहुतको जाते ।
মীহ ই ৫) यह माने तो भी नर, आतम थिरता जाते ॥
' रेद्धाउचस्था प्राप्त भये भी, जो न धमं चित छै |
अंधिक अधिक वह पुत्राठिक वं,-धनकर आत्म वेंधाव ॥३८॥
ल्विल संधि वन्धनयुत तनु अघ,-कर्म शिल्पि निर्मायों।
मलदोपादि भरो पुन नःपर, विनशत वार न जाको ॥
विधिना दत्त पर प्राप्यते, नून मृत्युमुपाश्रयन्ति मनुजास्तत्राप्यतो विम्यति |
इत्थ कामभयप्रसक्तहदया मोहान्सुधव ध्रुव, दु.खोमिप्रचुरे पत्तन्ति कुधिय,
ससारघोराणये ॥ २६ ॥ स्वसुखपयसि दिव्यन्मृद्युकंवत्तदस्त प्रसृतधन-
जरोरप्रो्टसजारमध्ये । निकटमपिं न पदड्यत्यापदा चक्रमुग्र, भवसरसि
वराको सखोक्मानौव ঘন ॥ ३७ ॥ श्रण्वनन्तकगोचर गतवत.
पश्यन् बहन्. गच्छतो, मोहादेव जनस्तथापि मनुते स्थैर्यं पर छात्मनः |
श्सप्राततेऽपि च वार्धके स्पृहयति प्रायो न धर्माय य.-्तदरधात्यधिकाधिकं
स्वमसकृतपुत्रादिभिवन्यने ॥ २८ ॥ दुश्चेशकृतकर्मशिल्पिरचित दु सन्ध्रि
१ पापकर्मरूपी शिल्पकार ( कारागीर } का वनाया हुआ | ३ नाश होने-
वाला!
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