श्री जिनेन्द्र पूजन | Shree Jinendra Poojan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२
मक्तामरस्तोत्रम्
[श्रीमानत्गाचायं |
भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा- |
मुद्योतक दलित-पाप-तमो - वितानम् ।
सम्यक्प्रणम्य जिन-पाद-युगं युगादा-
वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम् ॥१।
यः संस्तुतः सकल-वाड्मय-तत्त्व-बोधा-
दुद्भूत-बुद्धि-पटुभिः सुर-लोक-नाथंः ।
स्तोव्रजंगत्त्रितय - चित्त - हरेरुदारे:
स्तोप्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम् ॥२।।
बुद्धया विनापि विबुधाचित-पाद-पीट
स्तोतुं समुद्यत-मतिविगत-त्नपोश्हम् ।
बालं विहाय जल-संस्थितमिन्दु-बिम्व-
मन्यः कं इच्छति जनः सहसा ग्रहीतुम् ॥३॥
वक्तुं गुणान्गुण-समुद्र शशा द्खु-कान्तान्
कस्ते क्षमः सुर-गुर-प्रतिमोऽपि बुद्धचा ।
कल्पान्त-काल - पवनोद्धत - नक्र - चक्र
को वा तरीतुमलमम्ब निर्धिभुजाभ्याम्॥४८॥
লী तथापि तव भक्ति-वशान्मुनीश
कतु स्तवं विगत-शक्तिरपि प्रवृत्तः ।
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