संस्कार तत्व | Sanskaar Tatva

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १४ |] कस्या' को অল देकर, जो स्च्छन्द भाव स्॒ विदाह कर लेना है वह आसुर विवाह हे। मज कख भारत चष मं ब्राह्मण क्षाजेय ओर वैश्य सादिकों भें आसुर विवाह की भी कमी नहीं हेःलडक्यो पररूपण्धन्ञे देना आझाज कल्व आम रिवाज दो रहा दे बड़ी वड़ी सोशियल कार्ते घडा माडवरकर वडाखचे कर कर,रिज्यूलेशन पास करती है कि लडकियांपर रुपया न लिया जाय पर हम लडकियों पर रुपये खनं वालों की वहादुरी की चडाई करते ह कि इन. हजारों आदिमियों के वडी घूमधामसे पास किये रंजोल्यूशब की , चद्द घरके कोनेमें वेठकर चुपचाप तरदीद करदेते ই। चर ओर कन्या अपनी इच्छा से जो अन्योन्य संयोग कर छेते हैं चह गान्चवा विवाह है। . . . यापत्ष के लोगों को मार काद না फतेड कर डकराता शेती हुई कन्या को हठात्‌ छीनबल्ेेजाना राक्स, विवाह हं। ` सोरे हुई बा मतवाली वा वेखवर कन्या को वलात्कार करना सच विवादों में परापिष्ट पेशाच विवाह है।. हमारी न्याय परायंण गवनमेन्ट ले अपनी मद्धुष्य प्रजा জা হাহ ओर पेशाच भाव खे बचाने को इनदोनों विवाहौ का इन्डियनपेनेश कोट के अजुसार निषेथ कर दिया हे अतपव यह दोनों विवाह ভুল में दाखिल ह । मारत वषे में किसी समय यह दोनों विवाह भी प्रचक्धित थे; किन्तु अब इन का चिन्ह सी नहीं हैं । हम गव- नेमेंटे से प्रार्थना करते हें कि जेसा उसने कानून बनाकर बदो- फरोशी को जुम में दाखिल करदिया है एसा ही यदि लडकषि्यो ` धर रुपये लेने वाले ओर लडकों पर रुपये खेने वाले निदेयों को सी कानून की दफा के मुआफिक सुजरिस करार दियाजाय तो




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