स्वदेश और साहित्य | Swadesh Aur Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वराज्य साधनामं नारो
शस्त्रो में त्रिविध दुःख की बात लिखी है। संसार के सारे दुःखों
को शायद इन्हीं तीनों में ही बाँठा जा सकता है। लेकिन आज में
इसकी आलोचना नहीं करने जा रहा हूँ । वर्तमान काल में जिन
तीन प्रकार के दुःखों के बीच हमारी जन्मभूमि लुढ़कती जा रही है
बह भी तीन प्रकार के सत्य हें। लेकिन वह राजनीतिक, आर्थिक
आऔर सामाजिक सत्य है। हम सभी राजनीति नहीं समझते, लेकिन
इस बात को शायद अनायास ही समझ सकते हें कि इन तीनों का
अभिन्न संबंध है। यह बात सुनाई पड़ रही है कि केवल राजनीति से
ही हमारे सभी दुःखो, समी कष्टो का भरन्त गगा शायद यहु बात संच
हो, न भी हो, शायद सच-झूठ का मिश्रण हो । लेकिन यह बात किसी
भी हालत में सच नहीं कि मनुष्य की किसी भी दिशा से दु:ख दूर
करने की चेष्टा बिल्कुल व्यर्थ हो सकती है । जो लोग राजनीति में
हैं वे सर्वेथा सब काल में हमारे नमस्य हैं। लेकिन हम सभी अगर
उनके पदों का अ्रनुसरण करके स्पष्ट चिह्न न निकाल सके, तो जो
चिह्न केवल स्थुल दृष्टि से दिखाई पडते हं अर्थात् हमारे आथिक श्ौर
सामाजिक स्पष्ट दुःख अगर केवल उन्हीं के प्रतिकार की चेष्टा करे,
तो हम शायद महाप्राण राजनीतिक नंताओं के कंधे से एक बड़ा बोझ
हटा सकते हं ।
तुम्हारी लम्बी ची के पूवे, तुम्हारे श्रौर मेरे परम मित्र श्रीयुक्त
सुरेन्द्रनाथ मंत्र महाशय ने इस श्रन्त की श्रौर ग्रसहनीय वेदना कौ कु
थोडी-सी बातें तुम्हें याद दिला देने के लिये मुझे बुलाया है और मेंने
भी उनका निमन्त्रण स्वीकार किया है। इस सुग्रवसर ग्रौर सम्मान
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