शिक्षा-षनणवति : कर्तव्य षटत्रिन्शिका च | Shiksha Shannavati Karttavya Shattrinshika Cha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( प्रशस्तिः ) अष्टमाचाय श्री कालु गणीकी जन्मभूमि छापर-चातुर्मासमें साध्वियो का संस्कृत अभ्यास बढ़ानेके लिए तथा आत्म-तुष्टिके लिए साधु-साध्वी-भावक-श्राविका रूप विशिष्ट सम्पत्तिके अधि- नायक नवमाचाय श्री तुलसी गणीने इस शिक्षा-पण्णव्तिकी विक्रम संबत््‌ २००४ शरद्‌ अतुमें रचना की, यह सद्‌ा भव्य प्राणिर्योको कल्याणदायिनी हो । ॥६७-६८॥।




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