लोक महाकाव्य लोरोकायन | Lok Mahakavya Lorikayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
614
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५)
(२४) सोरिव द्वारा बार-बार सिर कादे जाने पर भी निरम्मल का
जीवित हो उठना ।
(२४) निरम्मल का अन्त में घराशायों होना तथा उसकी पत्नी का शव के
~ साथ सती होना 1
(३०) मजरोी के साथ लोरिक का गठरा वापस आना ।
अगोरी की कथा से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि नायक भहोर जाति की
गरिमा की रक्षा के लिए मजरी से विवाह करता है ओर दुष्ट राजा मोलागत को,
सहायको को अपने पौरपष, शक्ति और पराक्रम से नष्ट करता है। किन्तु युद्ध के
समस्त प्रसगो से यह वात उभर कर आती है कि देवी दुर्गा की शक्ति और सहायता
के बिना अन्य दौरो के समक्ष लोरिक का पोष्य तिर्वल पडते लगता है। वह कई बार
थीहत हो जाता है | यदि दुर्गा फो उसके जीवन से निकाल दिया जाय तो बह उच्च-
कोदि का वीर नही रह जाता। चाहे उसका युद्ध निरम्मत्त से हो या इनरावत
(इन्द्रावव) हाथी से हो या भाट से हो, सर्वत्र दुर्गा ही लोरिक को विजय का श्रेय
दिलातो है, यद्यपि बार-बार लोरिक अपनी वीरता का कथन करता है तथा अपनी
সবল शक्ति का परिचय देता है। शायद यह इसलिए भी होता है कि लोरिक जिन
वीरो से युद्ध करता है उनमे कई सामान्य चरित्र नही हैं। निरम्मल में देवी शक्ति
का प्रकाश है, उसे देवी वरदान प्राप्त है। हाथी इनरावत भी देवी शक्ति से सम्पन्न
है। दैवी देषा से सम्पन्नवौरो का पराभव भी दैवी शक्ति या पराक्रम से होना
बाहिए | लोरिक की तुलना गायक दृष्ण से अवश्य करता है और कहता है कि जब
भादो का महीना था, माधी रात थी, तब दृष्ण कन्हैया लोरिक का जन्म हुआ | पर
सोरिक मे रृष्ण के चरित्र के लक्षण नही दिखाई पडते। दुर्गा की सहायता से ही वह
असम्भव कार्य सम्भव बना लेता है।
„ २- सुहवल--मलप्षांवर का विवाह
पटना, बलिया, गाजीपुर, बतारस आदि के गायक सर्वेप्रथम सुहदत्त की
लडाईयाँ तथा मलसावर के विवाह के श्रसग गाते हैं जिनमें मलसावर से बमरी की
पुत्री सतिया का विवाह भनेक युद्धो के वाद सम्पन्न होता है। इलाहाबाद के मेरे
गायक रामञमवत्तार जिनका पाठ मैं प्रकाशित कर चुका हूँ १ कयगोरी तथा लोरिक के
विवाह के प्रसय ददई केवट की ही भाँति पहले गाते हैं । इसका कारण यह प्रतीत
होता है कि वे कगोरी ओर नायक लोरिक के विवाह के प्रसगो को अधिक महत्त्वपूर्ण
समझते हैं । बनारस और उसके पूर्व के क्षेत्रों, गाजीपुर, बलिया, पटना आदि के
गायक सबवरू या मलसावर का विवाह पहले इसलिए गाते हैं कि बडे भाई का विवाह
पहले होता चाहिए। मलसावर लोरिक के बडे भाई थे अत. उनके विवाह के पहले ही
लोरिक का विवाह करा देना इन गायको को दृष्टि मे उचित नही है । मससावर
खोइलनि के पालित पुत्र हैं। खोइत्तनि के गर्भसे सोरिक वाद मे उत्पन्न हुमा था ।
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