दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि | Digambaratv Our Digambar Muni

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Digambaratv Our Digambar Muni by कामता प्रसाद जैन - Kamta Prasad Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) हो चा सकती है। दूसरी बात यह है कि यदि दस समय মালা ब हं च पष प्रघ फो धपे ष 9 पी हेते दे । उपयुछध कथन थे स्पष्ट है हि তীর ক খাল, ই शग गोपि ह विकाश दै, तिगे काण्ड मि जोर নক कक पड़ रहा है और सिसके काव्ण कि दसो $ पातनाय मोनी पता है; भर यही मुख्य ধার है जिसके कारण यह ज्ञोव लीबानिरिक पदा्शों में भो राग और द्वोप करता है। अब तक जीव में इस प्रकार के एग्णिम हंतेवहगे कषर पम सम्नन्ध भी कर्मों से श्रवायय होताउहैपा। अतः रत जीरो को जो कि इस धरपका मे पता बाहते हैं पह অনিবা है कि খান সী হি জা पित বাহ জির মাত ভি বা पान सन्य & ছি দার पद्ध श कशोर श्प ए धमाद पष है, उसी पशार यह भी हि दिला मरे पदा केत शोर देवे रते शव सा समन शषा भौ शरसंमव दै ! अतः गय और द्वेपादिक নাস মাটি যা দত হান জী রি ৯ ছার पं उनके कार्य बराह पवार र सम्य त्वाप हेदो सदा ই। লেহী पतक নং মনু प्रहरथ जीवन में वेह करता है इस बात का पूएए भार रता है। शाद हो वहीं बि से पिए सतत भयल शौ का हि इट शय




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