इंडियन प्रेस रीडर - तीसरी किताब भाग 2 | Indian Press Readers Book Iii Part-ii

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Indian Press Readers Part-ii by ई. जी. हिल - E. G. Hill

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ई॰ जी॰ हिल - E. G. Hil

Add Infomation AboutE. G. Hil

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
या का वा 1 थ पुन-समनारायण ने स्टेट ठाकर ज़मीन पर रफ्ती घार सब के अपने दिलदी दिल में सोचने छगे कि देखें स्लेट पार डे का कया तमाशा होता हैं । उस्ताद ने रामनारायण से कहा + चमड़ के कुकड़े के स्टेट पर रखवार इतनो जार से दुधाओधो उसके अंदर की दया सब निकल जाय । चमड़ा नम पार छा ना था हो, रामनासयय न सूच अच्छो तरद उसके म्लेट दघाया | ६. जय. रामनातयण चमड़े का दवा चुका दो उस्ताद ने वद्धा वि. अब जरा नागा पड़ कर चमड़े के डुकेटे का उठाओं । उननयामनागयण समकों था कि घमड़े का टुकड़ा जरा दी में उठ झावेगा 1 भर मगर जब उसने तागे दे पड वार पाया डर सा चद्द न उठा । <८-उम्ताद से बदा--दार शोर से पेंचो । रामनारायण ने लाये देत जोर मरे सच्या सार इस तर धघमऐं वा टुबडा उप्पर उठ भाया । मगर इस के साय पसाथ स्टेट भी उठ भाई । रामनारायस तागा पद डे रहा था शर स्टेट उसमें सटदः रदी थी । ब--यए देय दर साहब दे धुत हो यंग हुए्ए टैर राम शरापण कदने टगा हि; चमड़े था टुचडा इटेट में सरेदा थ1 सरहद पका छुआ हैं ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now