इंडियन प्रेस रीडर - तीसरी किताब भाग 2 | Indian Press Readers Book Iii Part-ii
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.85 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)या का वा 1 थ
पुन-समनारायण ने स्टेट ठाकर ज़मीन पर रफ्ती घार सब
के अपने दिलदी दिल में सोचने छगे कि देखें स्लेट पार
डे का कया तमाशा होता हैं । उस्ताद ने रामनारायण से कहा +
चमड़ के कुकड़े के स्टेट पर रखवार इतनो जार से दुधाओधो
उसके अंदर की दया सब निकल जाय । चमड़ा नम पार
छा ना था हो, रामनासयय न सूच अच्छो तरद उसके म्लेट
दघाया |
६. जय. रामनातयण चमड़े का
दवा चुका दो उस्ताद ने वद्धा वि. अब
जरा नागा पड़ कर चमड़े के डुकेटे का
उठाओं ।
उननयामनागयण समकों था कि
घमड़े का टुकड़ा जरा दी में उठ झावेगा 1
भर मगर जब उसने तागे दे पड वार पाया
डर सा चद्द न उठा ।
<८-उम्ताद से बदा--दार शोर से
पेंचो । रामनारायण ने लाये देत जोर मरे सच्या सार इस
तर धघमऐं वा टुबडा उप्पर उठ भाया । मगर इस के साय
पसाथ स्टेट भी उठ भाई । रामनारायस तागा पद डे रहा था
शर स्टेट उसमें सटदः रदी थी ।
ब--यए देय दर साहब दे धुत हो यंग हुए्ए टैर राम
शरापण कदने टगा हि; चमड़े था टुचडा इटेट में सरेदा थ1 सरहद
पका छुआ हैं ।
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