प्रपंच-परिचय | Prapanch Parichaya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रपञ्न-पारिचय
प्रथम परिच्छेद
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दाशैनिक प्रक्रिया कमिक मनोधिकासका प्राकृतिक परिणाम है ।
जिस प्रकार कबिताकी जननी भावना या भावुकता है, उसी प्रकार
दरीनकी प्रसविनी प्रतिभा है । कविता इदयकी सम्पत्ति है
तो दीन मस्तिष्की उपन है । दोनोंका विकास समान
रूपसे होता है । जिस प्रकार सहृदय कविका লান্বলাদুতা অহ,
जीबनकी उत्थान और पतनकी घटनाकौ देखकर उससे अर्ण
नहीं रह सकता, तन््मय-तदाकार हो जाता है, सुख या दुःचैंकी
उसी प्रबछपाराम बह जाता है, ओर जिस प्रकार मावुकताका जाकिर
कविका इृदय प्रकृति देवीके सीम्य एवं सुन्दर स्वरूपमे प्रतिष्षण होगे-
বাট परिवतेनोंकी देखकर चहक उठता है, उसी अकार
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