मनोरंजन पुस्तकमाला 15 | Manoranjan Pustakmala 15

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Manoranjan Pustakmala 15 by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

Add Infomation AboutShyam Sundar Das

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( :#१ ,) इन पुस्तकों की अपेत्ता ओर भी अधिक उदारहण भरे रहते हैं; पर भारतीय साहित्य में ऐसी पुस्तकें प्रायः नहीं के समान हैं। यद्यपि किसी एक विषय का वर्णन करके उसके संबंध में दो एक उदारहण दे देने से, वह विषय भली भांति समम में था जाताहे ओर उसका प्रभाव भी पढ़नेवाले के चित्त पर बहुत अच्छा पड़ता हे; पर उसी विषय के बीसियों ओर पचींसो उदाहरण देने से केवल पुस्तक का आकार बढ़ने के ओर कोई विशेष लाभ नहीं हाता | किसी एक विषय को उठाकर, ततसंबंधी उदाहरण देने के लिये किसी महान्‌ पुरुष का पुरा जीवन चरित्र या किसी बड़े कारखाने का श्राद्योपांत इतिहास दे देना सुक्तिसंगत नहीं मालूम होता | जिस भकार मूल पुस्तक में उदाहरणों की भरमार हें, उसी प्रकार इस छायाजुवाद में उदाहरण की अपेक्ताकूत স্বরি भी है| इसके कई कारण हूँ । पर उनमें से मुख्य कारण यह है कि हमारे यहां बेसे उदाहरणो का मिलना बहुत से আহা में कठिन ओर कहीं कहीं अ्रस सव भी हें। इंगलेंड आदि देशों में विद्याचर्चा चरम सीमा तक पहुँची हुई है ओर ये देश बहुत छोटे छोटे हैं। उन देशों में जहां किसी मलुप्य ने काई छोटा मोटा काम भो किया ते! उसकी प्रसिद्धि सार देश में हो जातो है ओआर सर्वसाधारण शीघ्र ही उसका परिचय पा जाते हैं। पर हमारे देश की दशा इससे बिलकुल भिन्न




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now