निहालदे - सुलतान | Nihalde Sultan

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Nihalde Sultan by कन्हैयालाल सहल - Kanhaiyalal Sahal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्टिथ थामसन के प्रमाण से जन्म के उपरात्त बीर-याश्रा मे जो वात्तध्यान प्रकवित करती है, वह है-- 00 00৫0 05 ৮217005 080155$ 85515750. 19: 1115 56100 10011 012 20%61000165 ৮ ऐसे वीर पुरुष को घर छोड़कर यात्रा पर जाना पडता है, और इस यात्रा मे उसे वविध साहसपूर्ण वाये करने पडते है । भारत म॑ ऐसे वीरो की एवं लम्बी परम्परा है 1 तम को देश निवाला पिला विमाता के वारण, जगदेव पवार को भौ विमाता भै दारण पर छोडकर यात्रा पर निकलना पड़ा है। रिसालू को किसी भिन्न कारण से घर छोड कर नाना पडा है, पर सुलतान और रिसाल की परिस्थितियाँ कुछ-कुछ समान हैं । सुलतान सात वर्ष का हुप्ना तो उसने तौर कमान बनाई और पनघट पर घड़े फोडना शुरू किया | शिवायत पहुँचने पर राजा ने ताँवे के घडे बनवा दिये । सुलतान ने भी तीर वमान पये मनवा प्रोर एव ब्राह्मण-वस्या का कलप फोड दिया । उसके हठ पर मुलतान को देश निकाला मिला । यही- कु ऐसा ही वृत्त रिसाल.का है 1 459 [২৪18 [৪5910 0০191601767 01000107520 £520060 91901, 819 (0000 006 ০0160. 01 (6 0109 ৫12%100 ৬8৩1 [07 0175 ০11 ৩1710) 18 162 076 6001017০6 0100 074 10৩ 6290. प्ता 51075 21 (0৩11 6৪100, 01101009200 1010 पीला 211, = 16 01020 फटा! 00 1২918 95815818010 ০০0701810 0081090 1২818 79581047515 109 500, 5810 [২915 5515210815 804 110৬০ 10107 062115- 8০ (016 9081 091000019০1 1100 900 01855 ০ 550 0100 01100 606 शांत 1607 01601615210 106 ০9০0 801 1 णा 115 ल्पा. एषणा 11৩) 0136) ০০10 ताण फराह ॥णा (1৩ ৩1], (218 [95810 71246 10168 17 21] 1006 01107675911] 015 00? 6505৫ ৪170%/3 ৮? (017৩168৩105 061176 1১01196- 15% ন000)16) यद्यपि ज्योतिष द्वारा वर्जन भी रिसालू केलिए एक वावा थी। पर यह घडा फोडना और तद्विपयय उसवी शिकायत को भी रिसालू के कथाकार ने उसके घर छोड वर जाने का वारण वल्पित अ्रवश्य किया है । तो, १२ वर्ष तक का बनवास मिला सुलतान को । १२ को सख्या भो ऐसे संदर्भ ম महत्त्वपूष्ठ है । रिसालू को १२ वर्ष तक न देखने का वर्जन ज्योतिष से था उसके मा बाप को । राम को भी १२ वपं का वनवास मिला1 १ सणवत्तः कथाकार को 'गोवीचन्दः की कथा का प्रचलित एक रुप भी स्मरण म था जो प्रनजाने में इस कथा म छुड गया है । बगला भाषा मे 'मयनामतीर गान” मे बताया मया है कि यह देखकर कि गोपीचन्द की श्रायु केवल १८ वपं है, उसने गोपीचन्द को हाडिपा जानन्यरनाय का झिप्य बनवा दिया और वे बारह वर्ष तक के लिए प्रव्रजित हो गये ।




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