हरिश्चंद्र | Harishchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५ 1 रामशंकर व्यास जो के पास भेजना उचित सम्रका कि उस को देख कर छन्ह अनेक बातें स्मरण हो सके और वे बता सकें | इस में इमारा मनोरथ सफल हुआ। वह्ठ अपने ऊपर कष्ट उठाकर कृपापुवेक इमारो ष्स्तलिपि को ब्राद्योपान्त देख गए, जहां तहां नई बातें जोड़ दों, और कहों २ यथावश्यक शोघ भो दिया। इस परिश्रम के लिए इम परिडत जी को अवश्य धन्यवाद देते हैं । इस पुस्तक में हमने परिच्छ दों का नियम रखा है और इस को श्द परिच्छेदों में विभक्ष किया है। इस में एक परिच्छद में भारतेन्दु के पृव॑जों का भौर एक में इन के वंशजों का भो हाल लिखा गया है। कई एक में इन के रचे सब प्रकारके ग्रन्थो को समालोचना ई जिस में इस ने सिस्ेस मेनिंगस विरचित “ एनशेश कौर सिडिवेशल इणिष्टया ? ( 870७६. बावें- 2৫0123%1 [012 ) नामक पुस्तक का दामुकरण किया है। इन्हों परिच्छ दों में से एक को इम ने अपने परम मित्र पं* योध्या सिंह कानूनगोय श्राक्मगदु कै पास मेज करषख्नसे सम्मति पुछी थो। उन्हों ने उस को पसन्द किया और उस के विषय में यथो- चित सम्यति भी प्रदाद को जिस के लिए वे हमारे धन्यवाद के भागमो हैं । इस में एक परिच्छद “हिन्दोभाषा ” शभौर “ हिन्दोवर्णमाला ? के विषय में भी लिखा गया है। इस को म नै निज प्रियपुत्र बाबू हजनसब्दन सद्दाथ वकील সাহা के अनुरोध से लिखा है। निरसन्दह यदह परिच्छद .. बहतेरों के लिए उपयोगी होगा। यह विषय भरद्यावधि कदाचित्‌ चिद द पुस्तक में सब्िवेशित नहों हुआ है। इस विषय का लेख कभी २ किसो २ पत्र में देखने में भाया है. सच्ती। यह विषय इस पस्तक में इस. अभिप्राय से सखचिवेशित किया गया है कि हिन्दी रसिकों को इस विषय में आगे अधिक अनुसन्धान करने का उत्साह होगा। इस में कतिपय अंगरेजी पुस्तकों तथा छेखों से सहायता लो गई है । | इस पुस्तक में पाठकों क़ो सारतेन्दु के জীর্ধন चरित्र के अतिरिक्ष और भरो भनेक प्राचीन तथा वर्तमान विख्यात ईरुपॉ भौर कवियों दा द्वत्तान्त




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