हिंदी - गद्य - गाथा | Hindi Gadya Gaatha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : हिंदी - गद्य - गाथा  - Hindi Gadya Gaatha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सद्गुरुशरण अवस्थी - Sadguru Sharan Awasthi

Add Infomation AboutSadguru Sharan Awasthi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ९ ) गद्य हमारे लिए बागडोर है, इसका महत्व सव तोमुखी है । किसी भी जाति के बोधिक विकास की कसोटी उसकी वेज्ञानिक उन्नति होती है ।“विभिन्न कलाओं का विकास, उद्योग-बन्धों की प्रचुरता, सामाजिक उन्नति आदि से ही राष्ट्र शिक्षित कहा जाता है। अतएव हमारे मानसिक स्फरण में गद्य की महत्ता ओर उपादेयता सवमान्य ह । इसक अतिरिक्त स्वतः साहित्य कमी अनक হল আল है जहाँ पद्म की पहुँच नहीं; ओर यदि ऐसे स्थलों में पद्म अपना पैर रापता है तो यह उसकी हिमाक़त और लेखकों की उद्दण्डता ही समना चाहिए । पदाथ -विज्ञान, समाज-विज्ञान, चिकित्सा, क्रानून अथ, राजनीति आदि तथा अन्यान्य उपयोगी कलाओं का विवेचन यदि पद्यवबद्ध सम्मुख आय ता हास्यास्पदं ऑर अनुचित होगा। इस सम्बन्ध में हमें संस्कृत लखकां की कक्क का स्मरण हो आता हैं जिन्होंने ज्योतिष, तक, मीमांसा आदि को पद्मय-बद्ध किया था। उनका यह्‌ प्रयास अपने समय की समाज-गत रुचि का देखते हुए भले ही युक्तिसद्गत कहा जा सके; किन्तु यह स्वाभाविक है कि केवल पद्म में बाँधकर ही उ्यातिष, तक. धम्म-लाख आदि का प्रचार ओर असार जनसाधारण तक नहीं किया जा सकता। एक शिक्षित राष्ट्र का निर्माण गद्य के बल पर ही हाना स्पष्ट है) गद्य ही मानव जीवन की समीक्षा-प्रणाली है, ओर यही वास्तविक संसार कं चित्रण की उपयुक्त तूलिका हं । साहित्य में गद्य के समुचित स्थान का निर्देश करते समय स्वभांवत:ः प्रश्न उत्पन्न दाता है कि जव गद्य ही राष्ट्र की शिक्षोन्नति का महत्वप्रणं साधन है तो प्रत्येक देश के साहित्य में पद्म का प्रचार अपेक्षाकृत पृव- गामी क्यां दखा जाता है? इस सम्बन्ध में हम ऊपर सझ्ूत कर चुके हैं। इस तथ्य की ऊहापोह बहुत कुछ ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित है। साथ ही इसके कुछ प्राकृतिक पद्म के पूव प्रवेश के कुछ और कारण




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now