तुलसी सन्दर्भ | Tulsi Sandarbh

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Tulsi Sandarbh by माता प्रसाद गुप्त - Mataprasad Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूल गोसाईचरित' की देतिहािकना पर कुड विचार शूल गोप्ताईंचरित' मैं लिन भ्रु सादिपिक नया ऐतिहासिक व्यक्तियों के संयंधर्म उल्लेख झाए हैं वे इसप्रकार हैं :-- साहित्यिक-दितदरिवंश, सूरदास, गोमलनाभ, मौर्राबाई, रसखान, केशवदास, भाभादास, नंददास, मलूकदास तथा गंग । ऐतिहासिक-उद्यसिंद, दिल्लीपति, दोडर ज़मोनदार, रद्दीम, जहाँगीर तथा बीरवल ६ प्रस्तुत निधर्थर्म साहित्यिक व्यक्तियोंमेंसे श्रतिम दो तथा प्रेतिद्यासिफ आ्यक्तियोर्मेसे श्रंद्िम, अथोन्‌ मलूफदास, गग सया वीरबलको छोड़कर सरपर विचार किया गया है । मलूयदासरा उल्लेस मूल मोसाइचरित' में इस अ्रफार आता है-- दोदा-देवठुररी भेट मिलि , खदित मलूबादास। पहुँचे काशी से ऋषय , फिये श्रजड নিলে | ८३५ और यह घटना उक्त म्ंथके अनुसार १६४१-५२ वि०्की ज्ञात होती है। बालक विनायकराव पीने देवसुरारीको सलूकदासरा शुरु साना है' यद्यपि यह उक्त उद्धरणसे स्पष्ट चहीं होता । किंतु, साहित्यके इलिहासोसे भी इस নিন্ম अकाश नहीं पडता | सलूकदासका जन्म १६३३ विश्में हुआ था, और इससमय उनकी अवस्था अधिकसे झधिर २१ वर्षफी रही होगी, अतएव, यदि थे देवमुरारीके शिष्प रहे हो तभी गोस्दामीजी ऐसे १०० वर्प वृध महात्माका' उनसे मी भेद कर लेना धनुपयुक्त नही एटा जा सक्ता टै । कितु, दस विपयपर द्दतापूतैक कुद न कहे जा सकनेके कारण अस्तुत्त निर्ध विचार नहीं किया गया है । इसीप्कार, गगकी रहस्यु १६६४ या १६७० वि०में होनेका उल्लेख (मूल गोसाइचरित' ( दो० २१, ६२ ) में होता है, ओर उसमें यह भी छिखा २ आरीमदगोस्वामिचरितिम?, पृ० ३६ > रामनद् शक, 'दिदी-सादित्यका इतिइास! पू० ५० $ क्योंकि “मूल गोसाईचरित” के अनुपतार पोस्वामीजीजा जन्म स० १५४४ में हुआ था! (मूठ गो० च० दो० २) [२३




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