आत्मविजय | Atmvijay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
201
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)७ आन्तरिक युद्ध
वह हरेक प्रलोभन को इख युद्ध मे छोड देगा, वह मौत र
भयङ्कर दृश्यों को देख कर भी मुंह व फेरेगा ।
४--चह युद्ध में कमी अपनी इच्छा से कोई काम न करेगा।
उसका धर्स हर ससय अपने অনাদকি (002700200৩7) ক
हक्म को देखना ष्टी होगा । सारांश यह कि एक फौजी का
शरीर अपने कमाण्डर की आज्ञा का एक यन्त्र होगा !
उसी तरह रूहानी युद्ध में लड़ते वाले को पहले यह तय
करना होगा कि अपने इश्वर की आज्ञाओं का पालन हर समय
करेगा। ओर वह् इस देवी और आसझुरी संग्राम में हर समय
सच्चा और नेकनीयत रहेगा। वह कभी अपने मन को किसी
प्रजोभन का शिकार न दोने देगा। उसका एकमात्र रूक््य उस
युद्ध में विजय को प्राप्त होना होगा और अपनी इस विजय से वह
अपने प्रभु को प्रसन्न करने की कोशिश करेगा ।
बहाँ तो फीजियों को जन्न दोने पर लड़ाई में जाना पड़ता है
आर यहं युद्ध शुरू হাই आर ईश्वर (00771097027) শী জা
हैं, इसलिए हर एक व्यक्ति को चाहिए, ख्वाह स्त्री दो या पुरुष,
बूढ़ा हों या जवान, हिन्दू दो या मुसलमान, सिख हो या ईसाई
इस কালী युद्ध में डट जाय और अपने मालिक को हर तरह
प्रसन्न करे ।
ऐ आजमाने जादए ईर्मा बटे चलो)
सा-खा के तीरो खजर वैकां बटे चलो ॥
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