पुस्तकालय | Pustkalya

Pustkalya by भोलानाथ - Bholanathरामदयाल पाण्डेय- Ramdayal Pandeyराय मथुराप्रदास - Ray Mathuraprasad

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भोलानाथ - Bholanath

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रामदयाल पाण्डेय- Ramdayal Pandey

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राय मथुराप्रदास - Ray Mathuraprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ११ | 3825 पुस्तकालय : राष्ट्रनिर्माणक्वारी संस्था स्वतन्त्र भारत को पुत्तकालय्‌ का उपयोग एक राष्ट्रनिर्माणकारी सस्था के रूप में करना पड़ेगा। ब्रिटिश सरकार ने १५ अ्रगस्त को भारत को उपनिवेश पद दे दिया ग्रोर जूत १६४ तक उसे पूर्ण स्पृतत्र पढ दे देने की घोषणा की है। उसके पूर्व आलस्य, अवःपततन तथा पराधीनता हो सकती हैं। ক स्वतन्त्रता की ज्योति की जगमगाहठ, जाशति की लहर ओर अपने-अपने कते व्यों की जिम्मेदारी का अनुभव, सभी कुछ समत्र है। पिछले ५० वपा से मार स्वतत्रता की दिशा में दृढता से बटा चला आ रहा है। किन्तु সন पुन- रुधान तथा अपने पद को सुरक्षा के लिए भारत को पहले से कही श्रधिक्र उद्योग करना चाहिये। स्वतत्नता को लाने के लिए भारत को जिस प्रकार का उद्योग करना पडा है उसी प्रकार का उद्योग करते रहने से अरब काम नदी चल सकता | भारतीयों के जीवन को सफल बनाने के लिए अत्र कुछ ओर ही ढग के उद्योग की श्रावश्यकता है | पराधीनता के बन्वनों को तोडने के लिए. निःशस्त्र मारत को अपनी भावना प्रधान प्ररेणा का ही एकमात्र सहारा था| जिस असीम शक्ित के द्वारा भारत ने विगत ५० बपो में अपना पुनर्निर्माण क्रिया है बह शमिति करट से आई ? उस शक्ति-सोत का उदगम-ह्थन केवल भावना थी: वे भावनाएँ जो तय गर्व की विद्य तशक्ति, सेतृत्थ और अदा से झाविनू त है ने भावनाओं को जगाने के लिए, विशेष झर जनदाकिति हा সপ সস ০ को जागरित करने के लिए. छप शब्दा छी झ चलित च्म द्विक জানল 4 च ५ ৯ ন্‌ वफता थी। লীলা লিলি বান হাঙ্গিল ছা গা্রনা কয শব আ साथ जगा था 1 ৫




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