मोक्षमार्ग - प्रकाशक द्वितीय भाग | Mokshmarg Prakashak Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
368
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(११)
बोकेट दो भतीजे हैं मिनको यह पुत्र तमान दी मानते हैं और
उन््हींके पाप्त रहते प््दते और खाते पीते दें । यह दोनों भाई बढ़े
झुयोग्य, सुपात्र, सुशीर और घम्मप्रेमी सजन हैं | ये भपने पूज्य
चचानीको कभी किसी घमेकार्य या द्रव्य दान करनेमें बाघऊ नहीं
होते । न उनके घनकी कभी इच्छा करते दें, क्योंकि पुण्योदयसे
यहांड्ी बिरादरीमें उनका घर चोटीछ्ा गिना जाता है। निप्तप्रकार
यह दोनों भाई भक्त नीकों पितातुल्य मानकर तत्परतासे सेवा करते
हैं वेसे ही उनकी पृज्य मातानी और घमेपत्नियां भी इनकी यथा-
योग्य टहर कृरनेमे कमी भारस्य नदी मानतीं |
यद्यपि वृद्धावस्थामें उत्पन्न होनेवाले रोगोंकि कारण अवश्य
मक्तनीका श्चरीर भस्वस्थ जीर चित्त खेदखिन्नपरा रहता है तो मी
इनकी धर्मप्ताघना और दानवृत्तिमें कोई शिथिरता नहीं भाई है।
एकवार श्री ° ब्रह्म चारी सीतरुप्रप्तादनी यहां पघारे थे, उनके
उपदेशघे भापने बह्मचारीजी द्वारा संपादित श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक
द्वितीय भागको मुद्रित कराके नेन मित्रके ३६ वें वर्षके ग्राहकों
भेट देनेकी स्वीकारता देते हुये कडा छि ` स ० प° टोडरमलनीड
कथनके शेषांशका जन समानमें प्रचार होनावे और मोक्ष मागेक्
प्रध्वा स्वरूप प्रकाशित हो-यह मेरी जांतरिक भावना है ।” तद-
नुसार यह मन्थ भापकी मोर्चे छपाया गया है |
प्रतिप्मय दमारी मनोकामना बड़ी है कि मक्तनी चिरायु
हो ओर् षर्मष्यानमे विरोषं कीन रहं । ता० १५-११-६२.
-मोङानाथ दरखशा; बुन्द प्रहर ।
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