कसाय पाहुड | Kasaay Pahud

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Kasaay Pahud  by महेंद्र कुमार - Mahendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संज्ञोधन-पचनाएं स्चूणि कषायपरामृत सहिते श्री जयधवला प्रथम पुस्तककी यह द्वितीय आवृत्ति है। श्रीमूडविद्रीसे इस महान्‌ प्रस्थराजके इंलार्ज होकर फोटो प्रिट उपलब्ध हो गये हैं, जो श्रीजीवराज प्रन्थमाला सोलापुरके अधिकारमें हैं। जब मुझे इसके सं्षोधनका कार्य सोंपा गया तब मेरी तीव्र इच्छा रही कि श्री धंवलाके पुनः मुद्रणके समय जिस प्रकार मैंते उसकी प्रथम और द्वितीय पुस्तकका उनके फोटो प्रिटोंके साथ मिलाकर संशो- घनपूर्वक सम्पादन किया है उसी प्रकार इस ग्रन्थराजका भी उक्त विधिसे संशोधन कर लिया जाय, किन्तु उसकी समुचित व्यवस्था न हो सकनेके कारण ताश्नप्रतिकी मुद्रित प्रतिस मिलानकर ही इसका संशोधन किया गया है। ऐसा करते समय प्रथम आवृत्तिसे इसके मूल व अनुवाद दोनोंमें जो संशोधन किये गये हैं उनका विवरण इस प्रकार है- (१) मूलमें जो संशोधन किये गये उनमें आवश्यक संशोधनोंकी तालिका पु० पं० प्रथम आवुत्ति ३१ २-३ गुणेण णिप्पष्णं गोण्णं २१ ५ ३२ १ ३२३ ५ २४ ५ ४१ १ ४२४ ४३ ३ ४३ ७ ४७ २ ४८ ५ ४९ ३ ५२९६ ७२ ५ ७८ ७ ८२ १ ८४ ७ ८६ २ जहा- मोरी ` संबंधणिबंधणत्तादो [णाणी बुद्धिवं] तो कथ तब्भावो बलाए [राहाए] एदाणि णामाणि; समासंतभ्‌ (तब्भू) द- उडुवयण सह-रस-परिस-रूव गंधादि- [जीवदण्वा-] णं ख पन्वक्लेण ' ' [परिष्छित्ति कुणइ ओहिंणाण । चितिय-] करणट्ुम (णक्कम) ण पञ्चकं अत्थावरत्ति गमो उव (एग्रोब) लंभो चा्ेयण (णा) मुत्ता- वागा (ग) दिसय- बहसाहमादि पहाणु (बाह्मण) बलंभादो রিতু, (ললিতা) আছ तेसिदि- নও ২৩-২৫ १ गुणेण णिप्पण्णं गोण्णं, णोगुणेण णिप्पण्णं पं ० २८ ४ द्वितीय आवृत्ति णोगोण्णं । [गोण्णपदाभो जहा- मउली २८ ५ विववसाणिबंधणत्तादों। जदि'' 'आदाण- ३६ ५ ३८ २ ३९ १ ३९ ५ ४२२ पदाओ सण्णाभो तो [णाणी चेयणवं] तो कत्थंतभावो ? बलाहुकाए एदाणि पदाणि णामाणि; समासंतब्भूद- उड़-अयण सहू-परिस-रूब-रस-गं धादि- [जीवा-] ण च जं पञ्चबखेण [परिखित्ति कुणद् तं ओोहिणाणं णाम । चितिय-] करणक्कम ण च पर्वक्षवं ४३ १० अत्थावत्तिगम्मो ४४६ ४७ ६ ६५ ५ ७१ १ ७४ ५ ७६ ८ एगो उवलंभो चाचेयणामुत्ता- वागदिसय- बहइसाहमासमार्दि पहाणुवलंभादो विण्दुआह ७८ २२ तेक्षीदि-




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