राधेश्यामकीर्तन | Radheshyamkirtan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पाठक ! ৮
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, पुस्तक बनाते और पढ़ते हैं, ज्ञानके लिय । कणा भागवत कहते |
अर अ्रवण करते है, परम और खुवार के लिये गायनगाते और /#
सुनते हैं, सनके राकन और आनन्द के लिये।
वत्तमानकाल मं-पदि आप पतक्तपात छाड़के देखे, तो पुस्तकें
शायद कुछ मिलजा५, किन्तु ऊपर लिग्व जस कथयाबाचक ओर ৮
गायक इने गिने हा दिखलाह देवेंगे ॥
नहीं ता-पुस्तकों में तो/कूंठे गन्दे क्रिस्सीकी! 'गुलो वुलब নন
मगडोंकी? तादाद बढरही है । ओर कथावाचरकी में “चुन्मटदार
डुप्दटा डालकर हरंदार तिलक लगाकर- मज़तार हाव भाव करके
पुरुषों का रिम्कानक्रा,स्त्रियों को लुभाने का,आर चुहचुदाते लतीफे
सुना सुनाकर “घनोपाजन ?' करनेका चक्र चन्त रहा है|
पुरुषों को उपदेश देना नहींजानते, स्त्रिपोफ्ा माता बहिन नहीं
सममतते। “हम व्यासगर्द ত্বক ইত ই इस बातका विचार नहीं करते।
মী ইল “রী” आलाचना स, मर कथयावाचक भाह (चः
नहीं। कारण-बादल गर्भ करके ठण्डे जल बरसाता है | संग
खिचकर और चाट खाकर आनंद देता है ।
जिनमें उपरोक्त बातें हैं। और जो हमारी कथा और व्यासगर्शा
के नामका कलाकित कर रह ई। उन्हींके सुधार के लिय, उन्दीका
जगाने के लिप एसा लिग्व रह हैं ।
नहीं तो जा सच व्यास हं, सच्चे कधावाचक हैं, सच्चे उपदेशक
हैं वो मरे पूज्प मरे माननीय,मरे शिरोधायय, मरे धम्मगुरू ६ ।
“मुश्क खदबिबोयद न कि अत्तार गोयद”
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च छः कक्षकः
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मब रहे “गायक | सो इनमें भी “सय्पांकी सिजियां” कर.
बटियां लेने न देय! | ऐसे २ गानोंका घोर प्रचार दै | इसमें गायक
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ভা তক তক কৃত হিতে নথ কু
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