प्रेमवाणी चौथी जिल्द | Prembani Chothi Jild

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Prembani  Chothi Jild by राधास्वामी ट्रस्ट - Radhaswami Trust

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रद ई्टकििि मययययााााए् की जग करवा चहूं दिस बजने । राग द्पौर रागनी सुर संग उसंग कर गाइ ॥ ३॥ हर तरफ़ नारे ख़ुशी के अआाचाज लगे करने गंजार। द्यशे ने गरज गरज बंद उसी बरसाइ ॥ ४॥ उमंग उसैँग हर कोइ देता है मबारकबादी 1 राधास्वासो रहे निज सेहर से नित प्रति सहाइ ॥ ४१॥ गजल ६ ताज हंगासये शादी का गरम छो रहा देखो हरजा । राधास्वासी को दया का करो सब शक्र अदा ॥ १ ॥ उस तौर हंतसनी खुश होके बधाई देते । कप २] ७ घ साग ९ शादियाने के लगे बाजे द >>-5-अ0ल2




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