प्रेमवाणी चौथी जिल्द | Prembani Chothi Jild
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.94 MB
कुल पष्ठ :
206
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रद ई्टकििि मययययााााए् की जग करवा
चहूं दिस बजने ।
राग द्पौर रागनी सुर संग
उसंग कर गाइ ॥ ३॥
हर तरफ़ नारे ख़ुशी के
अआाचाज
लगे करने गंजार।
द्यशे ने गरज गरज बंद
उसी बरसाइ ॥ ४॥
उमंग उसैँग हर कोइ देता है
मबारकबादी 1
राधास्वासो रहे निज सेहर से
नित प्रति सहाइ ॥ ४१॥
गजल ६
ताज हंगासये शादी का गरम
छो रहा देखो हरजा ।
राधास्वासी को दया का
करो सब शक्र अदा ॥ १ ॥
उस तौर हंतसनी खुश होके
बधाई देते ।
कप २] ७ घ साग ९
शादियाने के लगे बाजे
द
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