धूप की लहरें | Dhoop Ki Lahren
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
300 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न बाग्देवी भारती! के मन्दिर में प्रविष्ट हों चुका हूँ । मेरे शूष
की लहर मेरौ वन्दना क स्वर-स्वर दोहरा रही हैं, में अनुभव
करता हूँ !
रात्रि का अन्धकार, 'सुबह का धृथलापनः, ओर “দুদ কী लहर'
किसी भी , 'मन्दः कवि यश्ञः प्रार्थी के जीवन की तीन निश्चित धाराय
हैं, में सोचता ।
गुलाब की निधि फल भौ द, कोटे भी । पथिक, यदि, पलों क
सौन्दर्य और उनकी सुवास पर मुग्ध होता है तो वह कटिं कौ तीदणता
क। अनुभव भी सुदूर तक करता है !
बस !
गोपीकृष्ण
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