ठण्डा लोहा तथा अन्य कविताएँ | Thanda Loha Tatha Any Kavitayen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
464 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज्यों ग्रणय की लोरियों की बाँह में,
मिलगिला कर औ” जला कर तन शमाएँ दो,
अव शलभ की योद में आराम से सोई हुईं ।
या फरिर्तों के परों की छाँह सें, `
दुबकी हुई, सहमी हुई, हों पूर्णिमाएँ दो,
देवताओं के नयन के अश्रु से घोर हुई
चुम्बनों की पौखुरी के दो जवान गुलाब,
मेरी गोद में।
सात सर्गों की महावर से रचे महताव,
मेरी गोद में।
ये बड़ सुकुमार, इनते प्यार क्य। ?
ये महज् आराधना के वस्ते, ,
जिस तरह भटकी सुबह को रास्ते
हरदम बताए हैं, रुपहरे शुक्र के नभ-फूल ने,
ये चरण मुझको न दे अपनी दिशाएँ भूलने /
ये खरुडहते मे सिसकते, स्वर्ग के दो यान, मेरी योद में /
रश्मि पंखों पर अभी उतरे हुए वरदान, मेरी गोद में /
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