भारतीय देशभक्तों की कारावास कहानी | Bhartiya Deshbhakto Ki Karavas Kahani

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Book Image : भारतीय देशभक्तों की कारावास कहानी  - Bhartiya Deshbhakto Ki Karavas Kahani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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গু भारतीय देशभोंकी-- क চা সখ সিট স্টি ৯. ০৯ সানি ५ ~~” ~^ ~^ ~~ ४ चानेक रूपमे दे दी गयी इसके बाद ह्म लोगोंकोी अफ्रीकाके चहसियों या जङ्कलिर्योकौ कोटरि्योमिं बन्द कर दिया गया ! हममें कितने ही उच्च-शिक्षाप्राप्त यथा कुलीन भारतवासी थे, पर उनकी किसोकी भी जड़लियोंसे अधिक कुछ कद्र नहीं समभी गई। जिस कमरेमें में बन्द किया गया था, उसमें १६ आदमि- योंके रहनेकी जगह थी। रोशनीका कोई उचित प्रबन्ध नहीं था। रातके लिये हमें एक डोल तथा एक टीनका ग्लास दिया गया। हमारे विस्तरके लिये छकड़ीके तखत, दो कम्बल, बोरिया और सिरहानेके लिये 'माफी' ! हमारी द्रख्वास्त पर गवनेरने एक मेज ओर दो वेच हमारे कमरेंमें और रख देनेकी अनुमति दे दो । खुबह ६ बर्ज हमारी कोठरियां खोल दो ज्ञाती थीं, और शामको बन्द कर दी जाती थीं। हमें ६ छटांक खाना दिया ज्ञाता था। हममें से कई आदमी उसे खा भी नहीं सकते थे, और न इनका पेट ही भरता धा। रविवारकों ६ छटांक मांस भी मिलता था, पर हम छोंग उसे नहों खाते थे, इसलिये उसके बदलेमें पाव भर आल ले लेते थे। खाने पीनेमें बड़ी गड़बड़ी थी,पर हम लोग कोई किसी तरहकी प्रार्थना नहीं करंना चाहते थे। गवनरने पक दिन हमसे जेलमें आकर पूछा कि कोई शिकायत तो नहीं ? इसका उतर यह दिया गया कि सब अच्छा है ।




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