समग्र ग्राम सेवा की ओर | Samagra Gram Sewa Ki Or
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
756
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)` ( १५ )
भलमनदयो-दवारा उपेक्ता; उन दीनो के इदय का श्रमृत; -
दरिद्रता की चक्की उनकी मानवता को पौसने में .
असमथ है ]
३, कौन सभ्य, कोन श्चसभ्य ! ... ४३-४७
[ इन शहरियों से वे अधिक संस्कृत ई; वनमानुषोँ के विषय
में; भारत की भ्रेष्ठ संस्कृति ]
१०० वनमानुप भोर चमार ... ... ४८-१३
[ वनमानुपों के विषय में और वातें; चमारों की जड़
स्थिति ]
१$ चम्तारों की हालत ष .., ५३-६३
[ परमुखापेक्षी जीवन: गुलामों की भाँति बेंटवारा; गन्दगी
का कारणः मूल समस्याः वच्चों से परिचयः स्त्रियों से
परिचय; छियों का पड हास्य; भलमनई ही पाप के वीज
নী हैं ]
१२» गाँव के बच्चे ॥ बह ,.. ६२-६८
१३ गाँवों में पंचायत नि ,,. १६-७६
[ एक आँखों देखी पंचायत; कचहरियों का भद्दा अनुकरण
सरकारी पंचायत: “ये भी क्या पंचायते हैं ?? ]
१४. समस्या की जड़ ৪ ... ७६-८२
[ सव॑ बुराइयों की जड़ उनकी गरीबी है; यह वेहोशी
आशिक सुधार की आवश्यकता; स्वयं हैजे के चंगुल में ]
4९५ दूसरी समस्याएं ... ८२-९३
[ ददै की खेती बिना चरला पंगु है; खेती के लिए बिनोले
का प्रचार; चरित्रहीन के घर में; नारी का वही सनातन
मातृत्व ] ह
१६, देश-अ्रमण की कहानी ... ट ३-१ ०७
[ यात्रा की आकस्मिक घोषणा; प्रयाग में; दक्षिण की ओर
गुजरात का अनुभव; भाबुवा के अनुभव; व्यवहार में सहसा
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