नैषध परिशीलन | Naishadh Parishilan

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Naishadh Parishilan by श्रीहर्ष - Shriharsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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19 ৮ ২৩ 4 १ कण -- पुरुरवा (एल) कौ उत्पत्ति तथा उनमे उ्वंशी का अनुराग -- दुर्वासा का इन्ध को शाप--शंकर का शक्ति को अस्र वनाना तथा त्रिपुर दाह---अर्जुन सहायता में शिव-द्वारा कुह सेना का विनाश--सुरुपत्ती तारा में चन्द्रमा कौ आसक्ति -- वेदव्यास दारा भ्रातृ-पत्त्ियों में पुत्रोत्पत्ति --त्रह्या का अपनी कन्या से दुत्त -- व्यासोत्पत्ति -- इन्द्रं का ब्राह्मणं रूप में कर्ण से कवच-कुण्डल माँगता--सूर्य भक्त साम्ब--द्वादशकेशव मूत्तियां--राम द्वारा शम्बूक वध--विष्णु के सित केश रूप बलराम--- दत्तात्रेय अवतार---राम का सीता तथा लक्ष्मण से वियोग---हरिहर--- शकराचल दान--गझुड़ामरेन्द्रसमर--अन्निनेत्र से चंद्रमा की उत्पत्ति तथा दक्ष की सत्ताइस कन्याओं से उनका विवाह---चन्द्रमा की सागर से उत्पत्ति--- शुक्र हारा कच की संजीवनी--विद्या का दान--शंख लिखित करा आच्यान-- विश्वामित्र का त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेजना तथा नूतन सुष्टि रचना--- शोक: इलोकत्वमागतः --- गौतम का इन्द्र और अहल्या को शाप--मेघनाद हारा मायानिरभित सीता का वध--मन्देह नामक राक्षसो पर सूयं का प्रात्यहिक 'विजय--शम्भुदारुवन सम्भुजिक्रिया---तारादेवी--वबुद्ध द्वारा मार विजय। त्रयोदश अध्याय प्‌० ४५७-५१० च्युत्पत्ति -- धर्मश्ासत्र तथा अन्य विविध विषय धर्मशास्त्र --- आयुर्वेद -- धतुरवेद -- सामुद्रिक शास्त्र -- संगीत -- नाट्य -- मन्त्र-तन्व -- रजनीति -- अरूंकार -- माणिक्य -- ज्ञान -- तुरग लक्षण -- तियं ग्योनि विषयक -- पक्षिविज्ञान -- जर्चर विज्ञान -- कृला -- ज्ञान --- शिल्प ( चित्रकारी )---शकुन -- सूप शास्त्र---लोकरीति । चतुर्देश अध्याय पु० ५११-फ४४ लोक-चित्रण वर्णाक्षम --- विवाह --- भोजन ---वस्त्राभुषण --- विछास --- चित्रकला--- संगीत कला--देवपुजा--सावारण सामाजिक जीवन--अचलित धारणाएं “+जौद्ध तथा जैन सम्प्रदाय । पंचदश अध्याय ১৬৬৬ प्रदान संस्कतं साहित्य में नैयव का महत्वपूर्णं स्थान--पदचात्तन साहित्य मे नैपव का प्रभाव--तैपव पर विद्वानों की दीकाएं।




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