श्री जवाहर किरनवली | Shri Jawahar Kirnawali Part -18 ( Udharan Mala Bhag -3 )

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Shri Jawahar Kirnawali Part -18 ( Udharan Mala Bhag -3 ) by आचार्य श्री जवाहर - Acharya Shri Jawahar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 : सज्जन-स्वभाव एक ब्राह्मण गगा के किनारे खडा हुआ था। किनारे के वृक्ष पर एक बिच्छू चढा था। वह गगा के जल मे गिर पडा और तडपने लगा। यह देखकर बराह्मण को दया आ गई | उसने एक पत्ता लेकर बिच्छू को उठाया। लेकिन विच्छू हाथ पर चढ गया और उसने हाथ मे डक मार दिया। डक लगते ही ब्राह्मण का हाथ हिल गया और बिच्छू फिर पानी मे गिर पडा। ब्राह्मण ने बिच्छू को फिर उठाया लेकिन फिर भी ऐसा ही हुआ ब्राह्मण ने तीन-चार बार बिच्छू को उठाया लेकिन हर बार विच्छ्‌ ने उसे काटा | यह हाल देखकर वहा खड कुछ लौग कहने लगे-यह ब्राह्मण कितना मूर्ख हे । विच्छ इसे बार-बार काटता हे और यह उसे बार-बार उठाता है | उसे मरने क्यो नही देता ? इन लोगो के कथन के उत्तर मे ब्राह्मण ने कहा- बिच्छू अपना स्वभाव प्रकट कर रहा है ओर मे अपना स्वभाव दिखला रहा हू। जब विच्छ्‌ अपना स्वभाव नही त्यागता तो मै अपना स्वभाव केसे त्याग दू? कि সি সি ৯৯৯৯ সী সী ” * उदालरणमाला भाग-३ ३ ~~ ~~~ ~ ~ ~ ~ ~~~ ~~ ~~ ~~




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