सदुपदेश संग्रह | Sadhupdesh Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला अध्याय । ९.
डे = सष कह
४--सागंद खाने से-सागंद देषप दूर करने के वास्ते खाई जाती
ই ঈাহ হাজা লিইছত হালা ই।
(२५७ ) राज्ञाओं के जहाँ तक दे सके अन्याय और अत्याचार
से बचना चाहिए | जिससे परलेाक मे बचाव रहे ग्रेर सदा दया और
जमा का भ्यान रक््खे ताकि परमेश्वर भी उन पर दया और क्षमा
करना रहे |
( २८ ) राज्ञाओं का इन आठ आदमियों से अपने के दचाये
रखना चाहिए।
সা ইহ কায खुत्यु के भूल पार खेसार हो; मद से
घमड में आ जाये ।
४--जा उछल-दापट से अपना दाम निवगाठता हा. थार रनद
अच्छा জাননা টা।
লিন তু হাক चरर देदल्ज्न हानि ह्मी द्रादनत्त चैर
सन्दर रार सूपान्दारासद्धारादूरलटो)
६--स सतातृप्पप ন জ্লাহ্বন ই ।
/1
+
भ्र
1
ञ्ल र ৮ নি
তা লিকিজি সা
টু |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...