सदुपदेश संग्रह | Sadhupdesh Sangrah

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Sadhupdesh Sangrah by देवीप्रसाद - Deviprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अध्याय । ९. डे = सष कह ४--सागंद खाने से-सागंद देषप दूर करने के वास्ते खाई जाती ই ঈাহ হাজা লিইছত হালা ই। (२५७ ) राज्ञाओं के जहाँ तक दे सके अन्याय और अत्याचार से बचना चाहिए | जिससे परलेाक मे बचाव रहे ग्रेर सदा दया और जमा का भ्यान रक्‍्खे ताकि परमेश्वर भी उन पर दया और क्षमा करना रहे | ( २८ ) राज्ञाओं का इन आठ आदमियों से अपने के दचाये रखना चाहिए। সা ইহ কায खुत्यु के भूल पार खेसार हो; मद से घमड में आ जाये । ४--जा उछल-दापट से अपना दाम निवगाठता हा. थार रनद अच्छा জাননা টা। লিন তু হাক चरर देदल्ज्न हानि ह्मी द्रादनत्त चैर सन्दर रार सूपान्दारासद्धारादूरलटो) ६--स सतातृप्पप ন জ্লাহ্বন ই । /1 + भ्र 1 ञ्ल र ৮ নি তা লিকিজি সা টু |




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