राजनीति | Rajniti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.64 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजनीति । पु
पक्षिन आय अपने वाठकर्म के 'हाड़ चाम् /गीधके खोड़र समीप
परेपाये । तब .उननिं 'जान्यो ' कि. हर्मारें छोना या पापी -विद्वा-
सघाती चाण्डाल ने खाये 1: ऐसे समझि,'संबनि ,मिल-गीघको
जीवसों मास्थो ताते हों कहतुद्दीं कि बिनजाने मित्राई क़बहूं न
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करिये यह. बात सुनि सवार कोघकरि बोल्यो, मित्र जा दिन तुम
हुरिण सो सित्राई करी .ता -दिन्न.यह तिहारो कुछ स्वभाव कहा
जानतुद्दो जो मिठबेव्यो । यातें. आपनो 'परायो: कहनो सूखनि
कॉकामहै । पण्डितकों तो सब आपनेही हैं जेंस ऋग हमारी सित्र
तेसें तुमहूं । अरुमलौुस तो व्यवहारहीते जा्योंजातुद्दे । हरि-
णकंही सित्नविवादक्यांकरतुहदो .। जितेकसिलरहें तितेकहीमले
काककह्दी भाईतुमजानो इतेकसें सब आपने आपने उदरकी चिं-
ताकोंगये अरुसाझकों आयइकटेमये 1 :याही भांति वहांरहनिखागे
कितेकदिनपाछे स्यारने हरिणको एक पाय कह्यो.सित्र हैं ति-
दौरेकंये आछोहस्थो कोमक यवकी खेत देखि आयोहों । जो मेरी
गेल चछो तो दिखाऊँ। यारीतिकपट्करि'वाको 'कुमागसेंट्यायो ।
अस्वहू कुविषनकोसारथों छोभकरि वाकेसंगही उठिधायो। ऐसे
नितवाके संगंजायजाय खायख्राय आवे। एंकदिन 'वाखेतके रेख-
वारेने हरिणको आवतुदेखिं फांदरोप्यो । उ्योही यह त्वरबेको थे-
न्यो त्योही बंझवो तब सन में कहनिठाग्यो कि'मिन्न बिन मोहिया
संकठते की निकारि, है। अरुददतस्पारवाको 'फैंस्योदेखि नाचिनोचि
मनमें कहनिठांग्यो किंसेरे कपटको फालें आज, सिलैगो जवब॒रख-
बारो याकोमांस ' भक्षणकरेगो तो.-हांड्चांससें- जो “मांसठपट्यो
रहेगा सो हों खाएँगो । 'यहतो यों: विचारमें नाविकूदिरह्यों है।
' अरुस्रगनेजान्यो, यह मेरोई दुःख देखिव्याकुलुंद्दो हाथपावपटक-
तुद्दे । पर यह न.जान्यों कि 'दामकोछोमी * नुवाकीभांति कठा
करतुहै । आगे स्थारकी दरादिखें श्गकही भाई मेरे निमित्त तू
एती खेद क्योंकरतु है. कद्योहेआपदा्े'कामंआते.सो हितू रणमे
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जूझे सोह्ार दरिडेमें खीकी परी्ता लीजिये दुशखमें वन्धु जांचिये
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