चार मीनारें | Chaarminaara

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Chaarminaara by कामता प्रसाद - Kamta Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“কালে ७ वे कौन हूँ इसको नहीं कहूँगा। हां, जैसे क्लास के साथी होते हैं, ट्रेत के साथी होते हैं, गली के साथी होते है, व॑से ही टेबूल के साथी और दोस्त भी होते हैं । पर क्यो होते है इसको खोलना ठीक नहीं, यह पाठकों को स्वयं समझ लेसा है । इस प्रकार अपने इस फ्लैट के टेबुल के साथ मेरी यह जिन्दगी नल रही है । “आगें-आगे देखिये होता है कया ? और आज इस लेख को लिखने के लिये मेने अपने टेबूल को थोड़ी देर के लिये फिर सजाया है और इपीलिये कहता हँ कि देश विदेश की. पत्र-पत्रिकायों देख लीजिये, वेश-बविदेश के खत देख लीजिये, देदा-विदेश का कलापूर्ण सामान देख लीजिये और मेरे टंबुल पर अ्रजायबघर या जादूघबर का छोटा নমুনা देख लीजिये । পর




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