मध्यकालीन राजस्थानी का इतिहास | Madhya Kalin Rajasthan Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजस्थान के इतिहास व॑ अध्ययन वाले के एतिहासिक खत 7 बुछ एव पुस्तकें भी निलाय्ा पर खुतवा ही गई थी 1 राजा समाज ढारा रचित ुमशतब नामत्र दा प्राकृत भाषा काव्य एक पाठशाला म पत्थरों पर खुद मिल हैं। इसी प्रवार श्रजमर के घौहान राजा विग्ररराज वीसलदेव चतुथ का लिखा हरिक्लि नाटव भी शिलाश्रा पर खुदा मिला है 1 भ्जमर स्थित टाई दिन के भौंपड चौहानरालीन सस्त पाठशाला स प्राप्त शिताम्रा पर हरिकेलि नाटव क श्रतिरिक्त राजववि सामंश्वर रचित ललित विग्रह नाटक भी उत्वीण है । इस प्रकार शिलालेंसा का राजस्यान क रतिहाम म पर्याप्त महत्त्व है । अब तक 162 शिलालेख राजस्थान मे प्राप्त हा चुके है जिनका विवररा निम्नॉवित अ्रथा से सक्लित है 1 . तैकफण8 एटा 5 0 रिय 0पॉ82089 . है ाटा 1 . हत26०108108 50५6४ रिट005 ५1 वतत18 01 विएका औैप1पण७19 1४ हिफ़राह्टाशफृषणि& पाठ ४. ब्लृषिणा 0 परिंणाफि फाएँ।घ 0४ छि. 0 9. छाधा।एंसा 1 रा . ता द्ड्लफृतिणाडई 0४ हट. पिधाण ४ प्राचीन जन लेख सम्रह--मुसि जिनविजय १10 एज 19५८1101015 छा मावनगर श्रभिलेख ह राजस्थान के ग्रमिलेदों का सरडितिक भेध्ययन नाई श्याम प्रसार ध्यास 1 उपरक्त ग्रया बे. प्राघार पर राजस्थान मं इतिहास के म्रध्ययम कोन में सम्बद्ध बुछ प्रमुख शिलालसो का सिप्त विवरण सिम्नौकित है 1 बिनोलिया. स्तम्भ लेस--यह शिलालेख 1169 ई पा है जौ पिजोलिया के पाश्वनाथ मंदिर वो उत्तरी दीवार के पास एक चट्टान पर उवीरा है । शमा घोर व्यास के घनुसार-- स्सम चौहान बश के सपा को उपलब्धियों मा वन है। इस लय से चौहान को. वश्सगोत्र के द्राह्मस्स बताया गया 1 मै श्मलेंग बद्वारा चौरान शासका वे. ग्रामरान हमपबत दाम वे स्वराशान का पता चनता है। द्सम हम कुटिया नदी बी समीप के शव श्रौर जन हीरो की सूचना नो. मिलती है । प्रशस्तिवार न उस समय वी झ्ायातों की ढृद्धि थी साधा भी बचताई है । इस लेंस मे प्रयुक्त सामत मुक्ति घारि शब्द के सकते से सामाजिव ब्यवस्या पर मा झल्दा श्रकान पड़ता है । उस समय के ननिक जीवन के विपप मे भी इस सेय स जानवारी प्राप्त हाती है। हो गापीनाय शमा कं नहा मल 1 दी एस ह तर शाजर्यान का इतिदास बू 11 2. कर्मों भोइ भ्याद राजर्दान गये इतिहास हू 3




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