विभिन्न धर्मो में ईश्वर-कल्पना | Vibhinn Dharmo mein ishwar kalpana

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Vibhinn Dharmo mein ishwar kalpana by प्रभाकर माचवे - Prabhakar Machwe

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९११ ) प्रतीक नहीं था | वह था एक राष्ट्रीय देवता | असीरिया का एकमात्र देवता । वह्‌ इसराइल के आरंभिक जाहवेह .की तरह योद्धा था। वस्तुतः, इस 'अधुर' की कृपा युद्ध में तिजब या शांति में सफलता का एकमात्र आधार थी । इस 'असुर महादेवता के सेवक कोई छोटे-छोटे देवता नहीं थे । असीरिया के लोग और किसी देवी-देवता की आराधना नहीं करते थे । एक “अमुर में सब अन्य सुरों का समावेश हो जाता था । इसराइल में राजा के अलावा एक ऊंचा पुरोहित-त्र्ग होता था, अग्रो मे राजा हौ परेहि था । इस देवता का प्रतीक था एक झंडा । उस झंडे पर दो पंखोंवाला चक्र होता या, जिसपर एक वाण चलानेवाला युद्धदेवता खड़ा होताथा। चूंकि यह चक्र सूर्य का चिह्न था, इसलिए अप्ुर सूर्योतन्न देवता था। =, ङस भ्रकार से “अधुर-तंप्रदाय में एकेश्वरवाद, सू्॑पूजा आदि के बीज मिलते हैं । वैविलोनिया-अश्षी रिया में देवताओं के घुभ-अशुभ अंक भी निश्चित थे ।: अनु का नंबर ६० था। बेल का ५० और सिन का ३० । सिन चंद्रमा था, जिसके चांद्रमास में ३० दिन होते ये। गम्स के २०, इदतर के १५ ( चांद्रमास के आधे ), मर्द क के ११, रम्मान के ६ और नस्क या अग्नि-देवता के १० | इनके अतिरिक्त और भी कई छोटे-बड़े देवी-देवता, राक्षस आदि थे। घश्रदद्धा भी बहुत थी। पक्षियों के बीच लड़ाइयां चेली जातीं; ज्योतिपी ओझा, मृतकों को जीवित करनेवाले, सपनों का अर्थ वतलामेबाले आदि कई लोगों की उस जमाने में बड़ी पूछ थी। कई तरह के मंत्र होते थे, जिनसे: बुरी आँख, अपशकुन, ज्ञाप आदि उतारे जाते | उसमें विश्वास टहत था । सिन [ चंद्रदेवता ) के प्रति एक प्रार्थना इस प्रकार से थी : “आकाश में किसका महत्त्व हैं ? केवल तेरा महत्त्व है पृथ्वी पर किसका महत्त्व है ? केवल तेरा महत्त्व है जत्र तेरा शब्द आकाश में गूजता है, तव आकाश के सारे देवदूत तेरे चरणों में झुक जाते हैं जब तेरा शब्द पृथ्वी पर गूँजता है, तब पृथ्वी के सारे' देवदूत जमीन चूमने लगते हैं जब तेरा शब्द तूफानी हवा के ऊपर गरजता है, तब उससे अन्न मौर पेय की समृद्धि होती है




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