व्यावहारिक सभ्यता | Vyavaharik Sabhyta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
191
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व्यावहारिक सभ्यता
“मेरी धारणा ह कि भारत ने जिस सभ्यता का जन्स दिया था,
विश्व की काई सभ्यता उसकी बराबरी की नहीं है । हमारे पूर्व पुरुष
जा बीज बो गये ह, उसकी समता करनेबवाली, इस संसार में एक भी
वस्तु नहीं है। रोम के बुर उठ गये, यनान का नाम शेप रह गया, फिरोन
बा सामाज्य रसातछ को चला गया, जापान पब्चिम के चगरू मे फँस
गया और चीन को तो बात कुछ कहते ही नहीं बनती । परस्तु भारत
की, पत्ते झड़ जाने पर भी जड़ मजबत हैं ।
महात्मा গামা
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